राजस्थान में पांच प्रमुख बाघ अभयारण्य (टाइगर रिजर्व) हैं: रणथंभौर, सरिस्का, मुकुंदरा हिल्स, रामगढ़ विषधारी और धौलपुर-करौली, कुंभलगढ़ को छठा टाइगर रिजर्व बनाने का प्रस्ताव है।
अपने किलों, महल और संस्कृति के लिए मशहूर राजस्थान शुरू से ही दुनियाभर के पर्यटकों के लिए एक खास पहचान रखता है। यही वजह है कि हर साल यहां देश-विदेश से लाखों की संख्या में पर्यटक यहां की विरासत, परंपरा, झीलों, किलों आदि को देखने के लिए आते हैं। राजस्थान के ये बाघ अभ्यारण्य अपने आप में एक अलग ही रोमांच पैदा करते हैं। इन्हें देखने के लिए मशहूर हस्तियों के साथ-साथ राजनेता भी इनका दीदार करने के लिए आते हैं। इन्हें देखने के लिए लोग इनका घंटों तक इंतजार करते हैं।
प्रोजेक्ट टाइगर – प्रोजेक्ट टाइगर भारत सरकार द्वारा 1 अप्रैल, 1973 को उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क से शुरू किया गया था। प्रोजेक्ट टाइगर का उद्देश्य देश में बाघों (पैंथेरा टाइग्रिस) की घटती आबादी को बचाना और उनके प्राकृतिक आवासों को संरक्षित करना है। देश के प्रसिद्ध जीव विज्ञानी कैलाश सांखला (Kailash Sankhala) को इस कार्यक्रम का पहला निदेशक नियुक्त किया गया था, उन्हें 1992 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। भारत के “टाइगर मैन” के रूप में कैलाश सांखला को जाना जाता है।राजस्थान में यह परियोजना 5 प्रमुख बाघ अभयारण्यों के माध्यम से संचालित होती है।
| बाघ अभयारण्य | बाघ अभयारण्य घोषित | बाघ अभयारण्य का क्षेत्र |
| रणथंभौर टाइगर रिजर्व | 1973 | सवाईमाधोपुर |
| सरिस्का टाइगर रिजर्व | 1978 | अलवर |
| मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व | 2013 | कोटा, बूंदी, झालावाड़ |
| रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व | 2022 | बूंदी, कोटा |
| धौलपुर-करौली टाइगर रिजर्व | 2023 | धौलपुर, करौली |
रणथंभौर टाइगर रिजर्व (सवाई माधोपुर): यह राजस्थान का सबसे पहला और सबसे बड़ा बाघ अभयारण्य है। यह बाघों को देखने के लिए सबसे प्रसिद्ध स्थानों में से एक है। दुनिया में सबसे ज्यादा फोटो खींचे जाने वाली बाघिन मछली भी यहीं पाई जाती थी। वर्ष 2016 में उसका निधन हो गया था। इस अभ्यारण्य को 1955 में सवाई माधोपुर खेल अभयारण्य के रूप में स्थापित किया गया था। रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत स्थापित होने वाला राजस्थान का पहला बाघ अभयारण्य है और 1980 राजस्थान का पहला राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था। लगभग 1,334 वर्ग किलोमीटर के विशाल क्षेत्र में फैला यह अभ्यारण्य वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग है और तत्कालीन शाही शिकारगाह का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था।

सरिस्का टाइगर रिजर्व (अलवर): यह राजस्थान का दूसरा बाघ अभयारण्य है, जो अपनी बाघों की आबादी के लिए जाना जाता है। शुरू में यहां राजघराने के सदस्य शिकार करने के लिए आते थे, लेकिन वर्तमान समय में यह बाघों के लिए एक संरक्षित अभ्यारण्य है। सरिस्का को वर्ष 1955 में वनस्पति और वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया था और सरिस्का टाइगर रिजर्व को 1978 में प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल किया गया था। सरिस्का को 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था। 2004 में बाघों की आबादी शून्य हो गई थी, जिसके बाद 2008 में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत बाघों को पुनर्वास के लिए रणथंभौर नेशनल पार्क से सरिस्का में स्थानांतरित किया गया और 2025 तक बाघों की संख्या लगभग 44 हो गयी है।
मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व (कोटा, बूंदी, झालावाड़, चित्तौड़गढ़): यह राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र में स्थित है और चार जिलों कोटा, बूंदी, चित्तौड़गढ़ और झालावाड़ में फैला हुआ है। यह तीन वन्यजीव अभयारण्यों दर्रा वन्यजीव अभयारण्य, जवाहर सागर वन्यजीव अभयारण्य और राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य का कुछ हिस्सा, का एक संयोजन है और कोटा के राजाओं का पूर्व शाही शिकारगाह था।
- यह रिज़र्व मगरमच्छ और घड़ियाल के लिए भी जाना जाता है।
- मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिज़र्व, रणथंभौर टाइगर रिज़र्व में बाघों की बढ़ती आबादी के दबाव को कम करने में भी मदद करता है, क्योंकि वहां से बाघों को यहां स्थानांतरित किया जाता है। हाल ही में यहां दुर्लभ कैराकल (एक जंगली बिल्ली) को भी देखा गया है, जो इस क्षेत्र की जैव विविधता के लिए एक शुभ संकेत है।
- इसे 1955 में वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया था।
- 2004 में इसे मुकुंदरा हिल्स (दर्रा) राष्ट्रीय उद्यान के रूप में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिला।
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व (कोटा, बूंदी): यह राजस्थान के बूंदी जिले में स्थित है, और इसका कुछ हिस्सा भीलवाड़ा और कोटा जिले में भी आता है। यह अभयारण्य रणथंभौर बाघ अभयारण्य और मुकुंदरा हिल्स बाघ अभयारण्य के बीच एक महत्वपूर्ण गलियारे (कॉरिडोर) के रूप में कार्य करता है, जिससे बाघों की आवाजाही बनी रहती है। इसे आमतौर पर रणथंभौर बाघ अभयारण्य में पनप रहे बाघों का प्रसूति गृह माना जाता है। चंबल नदी की एक सहायक नदी मेज नदी , रामगढ़ विषधारी बाघ अभयारण्य से होकर बहती है। मई 2022 में, इसे भारत के 52वां और राजस्थान का चौथा टाइगर रिजर्व अधिसूचित किया गया।
धौलपुर-करौली टाइगर रिजर्व (धौलपुर, करौली): धौलपुर-करौली टाइगर रिजर्व, राजस्थान के धौलपुर और करौली जिलों में स्थित एक बाघ अभयारण्य है। यह भारत का 54वाँ और राजस्थान का 5वाँ टाइगर रिजर्व है, जिसे अगस्त 2023 में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) द्वारा अनुमोदित किया गया था। यह राजस्थान का सबसे नया और सबसे छोटा बाघ अभयारण्य है। यह मुकुंदरा से रामगढ़ तक 1253 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है धौलपुर जिले में पहले ही केशरबाग, वन विहार, रामसागर, चंबल और धौलपुर सेंचुरी को मिलाकर नया टाइगर रिजर्व बनाया गया है
इनके अलावा, कुंभलगढ़ को छठा टाइगर रिजर्व बनाने का प्रस्ताव है.
