यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट (UNESCO World Heritage Sites) की सूची में राजस्थान के कुल 9 ऐतिहासिक धरोहर हैं। इनमें आमेर महल, गागरोन फोर्ट, कुंभलगढ़, जैसलमेर, रणथंभौर और चित्तौड़गढ़ का किला हैं।
राजस्थान के कुल 9 ऐतिहासिक धरोहर हैं,जो यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट मैं शामिल है।
यूनेस्को किसी स्थान को विश्व धरोहर स्थल के रूप में तब नामित करता है जब उसे महत्वपूर्ण सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, वैज्ञानिक या अन्य महत्व का माना जाता है। किसी स्थल को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित करने का उद्देश्य मुख्य रूप से पृथ्वी पर मौजूद सांस्कृतिक विरासत की रक्षा और संरक्षण करना है।
- आमेर किला
- कुंभलगढ़ किला
- रणथंभौर किला
- चित्तौड़गढ़ किला
- गागरोन किला
- जैसलमेर किला
- जंतर मंतर ( जयपुर )
- केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान
- जयपुर शहर
जयपुर शहर – 6 जुलाई 2019 को यूनेस्को ने राजस्थान के जयपुर शहर को विश्व धरोहर स्थल मैं शामिल किया। देश के सबसे पहले नियोजित शहरों में से एक जयपुर है
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान – 1985 मैं यूनेस्को ने राजस्थान के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान, भरतपुर को विश्व धरोहर स्थल मैं शामिल किया। मार्च 1990 में सांभर झील को रामसर साइट घोषित किया गया था और अक्टूबर 1981 में केवलादेव घाना राष्ट्रीय उद्यान को रामसर साइट घोषित किया गया था।

राजस्थान के छह पहाड़ी किलों चित्तौड़गढ़ किला (चित्तौड़गढ़), कुंभलगढ़ किला (राजसमंद), जैसलमेर किला (जैसलमेर), रणथंभौर किला (सवाई माधोपुर), गागरोन किला (झालावाड़), आमेर किला (जयपुर) को संयुक्त रूप से विश्व धरोहर सूची में जून 2013 में शामिल किया गया था।
जंतर-मंतर – जयपुर स्थित जंतर-मंतर को 31 जुलाई, 2010 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में शामिल किया गया था। दिल्ली, वाराणसी, उज्जैन और मथुरा में भी जंतर-मंतर हैं, लेकिन जयपुर का जंतर-मंतर यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में शामिल है. महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने 1734 में जंतर-मंतर का निर्माण करवाया था. जयपुर, दिल्ली, उज्जैन, मथुरा, और वाराणसी के सभी जंतर मंतर का निर्माण राजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने करवाया था.