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राजस्थान पुलिस कांस्टेबल सैलरी

राजस्थान पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2025 :- राजस्थान पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2025 चयनित उम्मीदवारों को 2 साल की प्रोबेशन अवधि में केवल 14,600 रुपये का निश्चित मासिक वेतन मिलेगा.

राजस्थान पुलिस कांस्टेबल की सैलरी 2 साल बाद में 36,000 रुपये से 40,000 रुपये प्रति माह के बीच होने की उम्मीद है, जिसमें सभी भत्ते और कटौती शामिल हैं राजस्थान पुलिस कांस्टेबल का वेतन पे मैट्रिक्स लेवल 5 (7वें वेतन आयोग पर आधारित) के अनुसार दिया जाता है

राजस्थान पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2025 के तहत कुल 10,000 पदों पर भर्ती की जाएगी. ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया 28 अप्रैल 2025 से शुरू हो चुकी है और इच्छुक उम्मीदवार 25 मई 2025 तक आवेदन कर सकते हैं योग्य उम्मेदवार आधिकारिक वेबसाइट से जाकर आवेदन कर सकते हैं ( police.rajasthan.gov.in )

राजस्थान पुलिस कांस्टेबल की सैलरी

Basic salary21400
DA11342
HRA2140
Mess allowances 2400
Hard Duty allowance 2729
Gross Salary 40011
Deduction from salary
GPF (for pension)1450
RGHS(Health insurance)440
Roadways pass200
Total Deduction 2090
In Hand salary 37921 = (4011-2090)

राजस्थान में पुलिस कांस्टेबलों को कई तरह के भत्ते और लाभ दिए जाते हैं।

  • पेंशन
  • चिकित्सकीय सुविधाएं
  • भविष्य निधि
  • मकान किराया भत्ता
  • उपहार
  • महंगाई भत्ता
  • परिवहन भत्ता

राजस्थान पुलिस कांस्टेबल का इन-हैंड वेतन आमतौर पर मूल वेतन और भत्तों को जोड़कर निकाला जाता है। फिर, प्रोविडेंट फंड, कर आदि से कुल राशि घटा दी जाती है। राजस्थान पुलिस कांस्टेबल का प्रति माह इन-हैंड वेतन 36,000-40,000 रुपये प्रति माह के बीच होगा।

राजस्थान पुलिस कांस्टेबल पद के लिए परिवीक्षा अवधि दो वर्ष होगी। इस अवधि के दौरान उन्हें पे लेवल 5 के तहत 14,600 रुपये प्रति माह का निश्चित वेतन मिलेगा।

राजस्थान पुलिस और पूरे पुलिस विभाग को उनकी सेवा अवधि और काम के प्रति समर्पण के अनुसार पदोन्नति मिलती है। पहली पदोन्नति आपकी सेवा के 9 साल बाद दी जाती है, दूसरी पदोन्नति आपकी सेवा के 18 साल बाद, तीसरी 27 साल की सेवा के बाद और अंत में आपकी सेवा के 36 साल बाद दी जाती है

पुलिस कांस्टेबल का काम सिर्फ वर्दी पहनना नहीं है

  • सार्वजनिक सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देना।
  • 🚨 कानून व्यवस्था बनाए रखना: शांति और सद्भाव सुनिश्चित करना।
  • 🕵️‍♂️ अपराधों की रोकथाम और जांच: समाज को सुरक्षित रखना।
  • 🤝 सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करना: हर नागरिक की रक्षा करना।
  • 🆘 नागरिकों की सहायता करना: जब भी आपको हमारी ज़रूरत हो, हम हाज़िर हैं। यह सिर्फ एक नौकरी नहीं, यह राष्ट्र सेवा है एक चुनौतीपूर्ण और सम्मानजनक करियर है

राजस्थान पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2025: 10,000+ पदों के लिए आवेदन शुरू,

राजस्थान पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2025 के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू हो गई है। यह भर्ती 10,000 से अधिक पदों पर की जा रही है, जो प्रदेश के युवाओं के लिए एक सुनहरा अवसर है।

महत्वपूर्ण तिथियां

  • आवेदन प्रारंभ तिथि: 28 अप्रैल 2025
  • आवेदन की अंतिम तिथि: 25 मई

शैक्षणिक योग्यता: आवेदक को किसी भी मान्यता प्राप्त बोर्ड से 12वीं कक्षा उत्तीर्ण होना अनिवार्य है।

CET अनिवार्यता: राजस्थान पुलिस कांस्टेबल भर्ती के लिए राजस्थान सीईटी (CET) परीक्षा उत्तीर्ण करना भी अनिवार्य है। बिना CET स्कोर के आवेदन स्वीकार नहीं किए जाएंगे।

इच्छुक और योग्य उम्मीदवार राजस्थान पुलिस की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन प्रक्रिया से संबंधित विस्तृत जानकारी और निर्देशों के लिए आधिकारिक अधिसूचना अवश्य देखें। यह उन सभी उम्मीदवारों के लिए एक शानदार अवसर है जो राजस्थान पुलिस का हिस्सा बनना चाहते हैं। तैयारी में जुट जाएं और इस अवसर का पूरा लाभ उठाएं!

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1857 की क्रांति के समय राजस्थान के पॉलिटिकल एजेंट

1857 की क्रांति :- 1857 के विद्रोह के समय भारत के गवर्नर-जनरल लॉर्ड कैनिंग थे और 1858 में लॉर्ड कैनिंग भारत के पहले वायसराय भी बने। 1857 का विद्रोह, भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम था।

1857 की क्रांति के समय राजस्थान में A.G.G. (एजेंट टू गवर्नर-जनरल) जॉर्ज पैट्रिक लॉरेंस थे. 1857 के विद्रोह के समय, राजपूताना रेजीडेंसी में एजेंट टू गवर्नर-जनरल (एजीजी) जॉर्ज पैट्रिक लॉरेंस थे। 1857 की क्रांति के समय, राजस्थान में A.G.G. (एजेंट टू गवर्नर-जनरल) जॉर्ज पैट्रिक लॉरेंस का कार्यालय अजमेर में स्थित था.

1857 के विद्रोह के समय, राजस्थान की विभिन्न रियासतों में अलग-अलग पॉलिटिकल एजेंट और शासक –

रियासत पॉलिटिकल एजेंट शासक
मेवाड़ (उदयपुर) मेजर शावर्स स्वरूप सिंह
मारवाड़ (जोधपुर) मैक मेसन तख्त सिंह
जयपुर कर्नल ईडन राम सिंह द्वितीय
कोटा मेजर बर्टनमहाराव राम सिंह
भरतपुर मॉरिसनजसवंत सिंह प्रथम
सिरोही जे.डी. हॉल महाराव शिव सिंह
धौलपुरभगवन्त सिंह

1832 में A.G.G. का मुख्यालय अजमेर में स्थापित किया गया था और राजस्थान के पहले एजीजी मिस्टर अब्राहम लॉकेट थे, 1845 में, A.G.G. का मुख्यालय को आबू में स्थानांतरित कर दिया गया था। 1864 में A.G.G. की दो राजधानियाँ, अजमेर (शीतकालीन राजधानी) और आबू (ग्रीष्मकालीन राजधानी) बनाई गई.

15 अक्टूबर 1857 को कोटा में अंग्रेज पॉलिटिकल एजेंट मेजर बर्टन एवं उसके दो पुत्रों आर्थर और फ्रांसिस को क्रांतिकारियों ने मौत के घाट उतार दिया गया था, धनतेरस पर पटाखों की जगह तोप और बंदूकें गूंजी थीं. क्रांतिकारियों ने कोटा के पॉलिटिकल एजेंट मेजर बर्टन के सिर को शहर में घुमाया। सिर को बाद में तोप से उड़ा दिया।

1857 के विद्रोह के दौरान क्रांतिकारियों की सेना (नेतृत्व ठाकुर कुशाल सिंह) ने जोधपुर पॉलिटिकल एजेंट (अंग्रेज कैप्टन) मैक मेसन का सिर कलम कर आऊवा किले की प्राचीर पर टांग दिया था। 25 जनवरी 1858 को 24 स्वतंत्रता सेनानियों को आऊवा की गलियों में बांध कर तोपों व बंदूकों से ब्रिटिश सेना ने छलनी कर दिया गया।

  • 1857 की क्रांति के समय जयपुर के राजनीतिक एजेंट कर्नल ईडन थे.
  • 1857 की क्रांति के समय कोटा का पॉलिटिकल एजेंट मेजर बर्टन था।
  • 1857 की क्रांति के समय जोधपुर के राजनीतिक एजेंट मैक मेसन थे।
  • 1857 के विद्रोह के समय सिरोही रियासत का पॉलिटिकल एजेंट जे.डी. हॉल था।
  • 1857 की क्रांति के समय उदयपुर का पॉलिटिकल एजेंट कैप्टन शावर्स था।

1857 की क्रांति के समय राजस्थान में 6 सैनिक छावनियाँ थीं।

  • 1. नसीराबाद
  • 2. नीमच
  • 3. खेरवाड़ा
  • 4. देवली
  • 5. एरिनपुरा
  • 6. ब्यावर

1857 की क्रांति राजस्थान में सबसे पहले नसीराबाद छावनी (अजमेर) में 28 मई 1857 को हुई थी। खेरवाड़ा और ब्यावर छावनी ने 1857 के विद्रोह में भाग नहीं लिया था।

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राजस्थान के पंच पीर rajasthan ke panch peer

रामदेवजी, पाबूजी, गोगाजी, हड़बूजी और मेहाजी को राजस्थान के पंच पीर कहा जाता है. ये पांच संत या पीर अपने धार्मिक और सामाजिक योगदान के लिए प्रसिद्ध हैं।

पंच पीर को याद करने की ट्रिक :- गोपा मेरा है

  • गो – गोगा जी
  • पा – पाबू जी
  • मे – मेहा जी
  • रा – रामदेव जी
  • है – हड़बू जी

राजस्थान के पंच पीरों के लिए प्रसिद्ध कहावत है:

पाबू, हड़बू, रामदेव, मांगलिया मेहा । पांचों पीर पधारो, गोगा जी जेहा।।

राजस्थान के पांच पीरों में तेजाजी शामिल नहीं हैं। तेजाजी राजस्थान एक लोकप्रिय लोक देवता हैं, लेकिन उन्हें पंच पीरों में नहीं गिना जाता है.

राजस्थान के लोक देवता, सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे न केवल आस्था के प्रतीक हैं, बल्कि सामाजिक समरसता, न्याय और लोक कल्याण के लिए भी प्रेरणा स्रोत हैं।

राजस्थान के पंच पीर

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राजस्थान का एकीकरण Rajasthan Ka Ekikaran

राजस्थान के एकीकरण से पूर्व राजस्थान में 19 रियासतें, 3 ठिकाने और केंद्र शासित प्रदेश अजमेर-मेरवाड़ा क्षेत्र थे. इन रियासतों को एकीकृत कर एक आधुनिक राज्य राजस्थान का निर्माण किया गया।

राजस्थान की एकीकरण प्रक्रिया 18 मार्च 1948 से शुरू होकर 1 नवंबर 1956 को 7 चरणों में पूरी हुई। राजस्थान के एकीकरण में 8 साल, 7 महीने और 14 दिन लगे थे।

5 जुलाई, 1947 को भारतीय रियासत विभाग का गठन हुआ था। भारतीय रियासत विभाग का प्रमुख सरदार वल्लभभाई पटेल को बनाया गया था और भारतीय रियासत विभाग का प्रशासनिक प्रमुख (सचिव) वी. पी. मेनन को नियुक्त किया गया था एकीकरण की इस प्रक्रिया में सरदार वल्लभभाई पटेल और वी.पी. मेनन की अहम भूमिका रही।

राजस्थान एकीकरण के 7 चरण (7 Stages of Integration)

  • 1. पहला चरण: मत्स्य संघ (18 मार्च 1948)
  • 2. दूसरा चरण: राजस्थान संघ (25 मार्च 1948)
  • 3. तीसरा चरण: संयुक्त राजस्थान (18 अप्रैल 1948)
  • 4. चौथा चरण: वृहत राजस्थान (30 मार्च 1949)
  • 5. पांचवां चरण: संयुक्त वृहत राजस्थान (15 मई 1949)
  • 6. छठा चरण: संयुक्त राजस्थान (26 जनवरी 1950)
  • 7. सातवां चरण: पुनर्गठित राजस्थान (1 नवंबर 1956)

प्रथम चरण – 18 मार्च 1948 (मत्स्य संघ)

राजस्थान के एकीकरण का पहला चरण 18 मार्च, 1948 को शुरू हुआ था मत्स्य संघ में अलवर, भरतपुर, धौलपुर और करौली रियासतें शामिल कर के बनाया गया था.

शोभाराम कुमावत को मत्स्य संघ का प्रधानमंत्री बनाया गया था. अलवर को मत्स्य संघ की राजधानी बनाया गया था श्री एन.वी. गाडगिल ने लोहारगढ़, भरतपुर में मत्स्य संघ का उद्घाटन किया.

मत्स्य नाम महाभारत काल से जुड़ा है, जो कनहिया लाल माणिक्य लाल मुंशी द्वारा दिया गया था। युगल किशोर चतुर्वेदी को मत्स्य संघ का उपप्रधानमंत्री किसे बनाया गया.

अलवर रियासत ने 15 अगस्त, 1947 को पहला स्वतंत्रता दिवस नहीं मनाया था। महात्मा गांधी की हत्या के मामले में, अलवर रियासत के महाराजा तेज सिंह प्रभाकर पर संदेह जताया गया था। उन पर नाथूराम गोडसे को हथियार उपलब्ध कराने और साजिश में शामिल होने का आरोप था तत्कालीन महाराज तेज सिंह को नजरबंद कर दिल्ली बुला लिया गया।

महात्मा गांधी की हत्या के आरोप, हिंदू महासभा से उनके संबंध, और अलवर में हुई सांप्रदायिक घटनाओं ने महाराजा तेज सिंह की स्थिति को कमजोर कर दिया, जिससे उन्हें मत्स्य संघ का प्रधानमंत्री नहीं बनाया गया। इसके बजाय, अलवर प्रजामंडल के लोकप्रिय नेता शोभाराम कुमावत को मत्स्य संघ का प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया।

द्वितीय चरण – 25 मार्च 1948 (राजस्थान संघ)

राजस्थान के एकीकरण के दूसरा चरण में कोटा, बूंदी, झालावाड़, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, टोंक, शाहपुरा, और किशनगढ़ रियासतें शामिल थी और राजस्थान संघ की राजधानी कोटा को बनाया गया था। राजस्थान संघ का उद्घाटन 25 मार्च, 1948 को कोटा किले में एन.वी. गाडगिल द्वारा किया गया था।

गोकुल लाल असावा को राजस्थान संघ का प्रधानमंत्री बनाया गया था और कोटा के भीम सिंह राजस्थान संघ के राजप्रमुख बनाया गया। बूंदी के बहादुर श्री बहादुर सिंह राजस्थान संघ के उपराजप्रमुख थे।

तृतीय चरण – 18 अप्रैल 1948 (संयुक्त राजस्थान)

राजस्थान के एकीकरण के तीसरे चरण में उदयपुर रियासत (मेवाड़) को राजस्थान संघ में शामिल किया गया, जिसके बाद इसका नाम बदलकर “संयुक्त राज्य राजस्थान” कर दिया गया। माननीय प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू ने कोटा में संयुक्त राजस्थान का उद्घाटन 18 अप्रैल, 1948 को किया था।

मेवाड़ के भूपाल सिंह को राजप्रमुख चुना गया और कोटा के श्री भीम सिंह को उपराजप्रमुख चुना गया। उदयपुर को संयुक्त राजस्थान राजधानी बनाया गया था

चतुर्थ चरण – 30 मार्च 1949 (वृहद राजस्थान)

राजस्थान के एकीकरण के चौथा चरण में जोधपुर, जयपुर, बीकानेर और जैसलमेर रियासतों को संयुक्त राजस्थान में मिलाया गया था, यह सबसे बड़ा चरण था और इसी दिन राज्य का नाम “राजस्थान”रखा गया। हर वर्ष 30 मार्च को राजस्थान दिवस के रूप में मनाया जाता है , क्योंकि वृहद राजस्थान का उद्घाटन 30 मार्च, 1949 को सरदार वल्लभभाई पटेल ने किया था।

सत्यनारायण राव समिति की सिफारिश पर जयपुर को वृहद राजस्थान की राजधानी बनाया गया था. सत्य नारायण राव समिति सिफारिश पर जोधपुर को उच्च न्यायालय, भरतपुर को कृषि, उदयपुर को खनिज विभाग, बीकानेर को शिक्षा विभाग दिया गया। जयपुर के मानसिंह द्वितीय को राजप्रमुख और श्री भीम सिंह को उपराजप्रमुख बनाया गया था. जयपुर के हीरालाल शास्त्री वृहद राजस्थान के प्रधानमंत्री बने ।

पंचम चरण – 15 मई 1949 (संयुक्त वृहत् राजस्थान)

राजस्थान के एकीकरण का पांचवां चरण में मत्स्य संघ को वृहद राजस्थान में मिलाया गया था सरदार वल्लभभाई पटेल ने 15 मई 1949 को संयुक्त वृहत् राजस्थान का उद्घाटन किया। जयपुर संयुक्त वृहत् राजस्थान राज्य की राजधानी थी। मानसिंह द्वितीय राजप्रमुख थे तथा कोटा के श्री भीमसिंह संघ के उपराजप्रमुख थे । हीरालाल शास्त्री संयुक्त वृहत् राजस्थान राज्य के मुख्यमंत्री बने।

षष्ठम चरण – 26 जनवरी 1950(संयुक्त राजस्थान)

संयुक्त राजस्थान 26 जनवरी 1950 को सिरोही क्षेत्र को संयुक्त वृहत् राजस्थान के विलय के साथ अस्तित्व में आया। इस दिन राजस्थान को अपना आधिकारिक नाम मिला और जयपुर को राजधानी बनाया गया। सिरोही रियासत के आबू और देलवाड़ा क्षेत्र को इस विलय से अलग रखा गया था। भारत का नया संविधान लागू हुआ और राजस्थान को एक पूर्ण राज्य का दर्जा मिला। मानसिंह द्वितीय को संयुक्त राजस्थान राजप्रमुख और श्री हीरालाल शास्त्री राजस्थान का प्रथम मुख्यमंत्री बनाया गया था।

सप्तम चरण – 1 नवंबर 1956(पुनर्गठित राजस्थान)

राजस्थान के एकीकरण का सातवां चरण 1 नवंबर, 1956 को पूरा हुआ। इस चरण में, अजमेर-मेरवाड़ा, आबू रोड, और सुनेल टप्पा को राजस्थान में मिलाया गया, जबकि सिरोंज उप-जिला मध्य प्रदेश को दे दिया गया। पुनर्गठित राजस्थान की राजधानी जयपुर थी ।मोहनलाल सुखाड़िया इस संघ के मुख्यमंत्री थे। राजप्रमुख का पद बदलकर राज्यपाल का पद कर दिया गया। श्री गुरुमुख निहाल सिंह राजस्थान के प्रथम राज्यपाल बने। राजस्थान का वर्तमान स्वरूप इसी चरण में स्थापित हुआ।

रियासतों के शासकों को तोपों की सलामी दी गई और ठिकानों को तोपों की सलामी सम्मान नहीं दिया गया।

राजस्थान में स्वतंत्रता से पहले नीमराणा, लावा और कुशलगढ़ तीन ठिकाने थे.

राजस्थान एकीकरण के समय सबसे अंत में अजमेर – मेवाड़ क्षेत्र शामिल हुआ था.

राजस्थान एकीकरण को स्वीकारने वाली सबसे पहली रियासत बीकानेर थी

बांसवाड़ा के शासक चन्द्रवीर सिंह ने राजस्थान संघ के निर्माण के समय में विलय पत्र हस्ताक्षर करने हुए कहा था कि मैं अपने डेथ वारंट पर हस्ताक्षर कर रहा हूं .