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राजस्थान में संरक्षित क्षेत्र – Conservation reserve in Rajasthan

राजस्थान में कुल 39 कंजर्वेशन रिजर्व हैं, जिनमें 2 नए घोषित रिजर्व शामिल हैं। आसोप कंजर्वेशन रिजर्व (भीलवाड़ा) 37वां कंजर्वेशन रिजर्व था। राजस्थान के वन्यजीव विभाग ने हाल ही में 2 नए संरक्षण रिज़र्व घोषित किए हैं मोकला-पारेवर कंजर्वेशन रिजर्व,जैसलमेर और बुचारा मेन कंजर्वेशन रिजर्व, जयपुर हैं।

राष्ट्रीय उद्यान और राज्य के वन्य जीव अभयारण्य के आस पास वाले एरिया होता है, जिन्हे वन्यजीवों, वनस्पतियों, और जैव विविधता की संरक्षण के उद्देश्य से स्थापित किया जाता है, कॉन्सर्वेशन रिजर्व क्षेत्र कहा जाता है। काफी समय बाद इन्हें जरूरत के अनुसार कंजर्वेशन रिजर्व क्षेत्रों को राष्ट्रीय उद्यान या वन्य जीव अभयारण्य में शामिल कर दिया जाता है।

  • राजस्थान का सबसे बड़ा (221.69 वर्ग किमी) कंजर्वेशन रिजर्व, बालेश्वर संरक्षण रिजर्व, नीम का थाना (सीकर) हैं।
  • राजस्थान का सबसे छोटा कंजर्वेशन रिजर्व, बीड मुहाना (जयपुर) संरक्षण रिजर्व है (0.10 वर्ग किमी)
  • राजस्थान का पहला और सबसे पुराना संरक्षण रिजर्व बीसलपुर कंजर्वेशन रिजर्व है, जो टोंक जिले में स्थित है और 2008 में स्थापित किया गया था।
  • मोकला-पारेवर कंजर्वेशन रिजर्व,जैसलमेर और बुचारा मेन कंजर्वेशन रिजर्व, जयपुर की घोषणा 2025 में हुई हैं।
  • बारां में सबसे ज्यादा (7) कंजर्वेशन रिजर्व है।
कंजर्वेशन रिजर्वकंजर्वेशन रिजर्व का जिला कंजर्वेशन रिजर्व घोषित वर्ष
बीसलपुर संरक्षण रिजर्वटोंक 2008
जोहड़बीड गढ़वाला संरक्षण रिजर्वबीकानेर 2008
सुंधामाता संरक्षण रिजर्व (3 जालोर + 1 सिरोही)जालोर सिरोही 2008
गुढ़ा विश्नोई संरक्षण रिजर्वजोधपुर 2011
शाकम्भरी संरक्षण रिजर्वसीकर – झुंझुनूं 2012
गोगेलाव संरक्षण रिजर्वनागौर 2012
रोटू संरक्षण रिजर्वनागौर 2012
बीड झुंझुनू संरक्षण रिजर्वझुंझुनूं 2012
उम्मेदगंज पक्षी विहार संरक्षण रिजर्वकोटा2012
जवाई बांध लेपर्ड संरक्षण रिजर्वपाली 2013
बांसियाल खेतड़ी संरक्षण रिजर्वझुंझुनूं 2017
बांसियाल खेतड़ी बागोर संरक्षण रिजर्व झुंझुनूं 2018
जवाई बांध लैपर्ड -II संरक्षण रिजर्वपाली 2018
मनसा माता संरक्षण रिजर्वझुंझुनूं 2019
शाहबाद संरक्षण रिजर्वबारां 2021
रणखार संरक्षण रिजर्वजालोर 2022
शाहबाद तलहेटी संरक्षण रिजर्वबारां 2022
बीड घास फुलिया खुर्द संरक्षण रिजर्वभीलवाड़ा 2022
बाघदरा मगरमच्छ संरक्षण रिजर्वउदयपुर 2022
वाडाखेड़ा कंजर्वेशन रिजर्वसिरोही
झालाना-अमागढ़ कंजर्वेशन रिजर्वजयपुर
रामगढ़ संरक्षण रिजर्व बारां
खरमोर संरक्षण रिजर्वअजमेर
सोरसन -1 संरक्षण रिजर्वबारां
हमीरगढ़ संरक्षण रिजर्वभीलवाड़ा
कुरंजा संरक्षण रिजर्व, खींचनफलौदी
बंझ अमली संरक्षण रिजर्वबारां
सोरसन -3 संरक्षण रिजर्वबारां
गंगा भैरव घाटी रिजर्वअजमेर
बीड फतेहपुर संरक्षण रिजर्वसीकर
बीड मुहाना संरक्षण रिजर्व-Aजयपुर
बीड मुहाना संरक्षण रिजर्व- Bजयपुर
सोरसन -2 संरक्षण रिजर्वबारां
अमरख महादेव तेंदुआ संरक्षण रिजर्वउदयपुर
बालेश्वर संरक्षण रिजर्व नीम का थाना, सीकर
महसीर संरक्षण रिजर्व उदयपुर
आसोप संरक्षित क्षेत्र भीलवाड़ा 2024
बुचारा मेन कंजर्वेशन रिजर्वजयपुर 2025
मोकला-पारेवर कंजर्वेशन रिजर्वजैसलमेर 2025
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राजस्थान के लोक देवता और देवियाँ - Rajasthan ke lok Devta and Deviya

तेजा जी के मंदिर – Teja ji ke mandir

तेजा जी का जन्म माघ शुक्ल चतुर्दशी के दिन राजस्थान के नागौर जिले के खड़नाल में 1074 ई. में जाट परिवार में हुआ था। खरनाल (नागौर) में तेजाजी का एक भव्य मंदिर बनाया गया है। तेजाजी राजस्थान के प्रसिद्ध लोक देवता हैं और तेजा जी को शिव के ग्यारह अवतारों में से एक माना जाता है।

  • तेजाजी के पिता का नाम ताहड़ जी और माता का नाम रामकुंवरी था।
  • तेजाजी की पत्नी का नाम पेमल था। पेमल, पनेर के सरदार रायमल की पुत्री थीं।
  • तेजाजी की घोड़ी का नाम लीलण (सिंगारी) था।
  • तेजाजी को नागों के देवता, गौरक्षक, कृषि कार्यों के उपकारक, काला – बाला के देवता आदि नामो से जाना जाता है।
  • तेजाजी के जन्म दिवस पर 7 सितंबर 2011 को स्थान खड़नाल में 5 रुपय की डाक टिकट जारी की थी।
  • परबतर नागौर में भाद्रपद शुक्ल दशमी को तेजा जी का प्रत्येक वर्ष मेला लगता है। परबतर तेजा जी मेले से राज्य सरकार को सबसे अधिक आय होती है।
  • तेजाजी, लाछा गूजरी की गायों को मीनाओं के चंगुल से छुड़ाते हुए अपने प्राण त्याग दिए। अजमेर के सुरसुरा गांव में तेजाजी मृत्यु हो गई।

वीर तेजाजी एक बार खरनाल से अपने ससुराल पनेर गए थे, वहां उनकी सास दुआरी (गाय का दूध निकाल रही थी) कर रही थी और तेजा जी की घोड़ी को देखकर गाय वहां से भाग गई, तब बिना देखे तेजाजी की सास ने श्राप दे दिया कि तुझे काल नाग डसे, ऐसा सुनकर तेजाजी वहां से लौटने लगे, तब उनकी पत्नी पेमल ने उन्हें रोका, पत्नी के कहने पर तेजाजी मान गए और सुसराल पहुंचकर आराम करने लगे। कुछ देर बाद ही गांव में एक गुर्जर जाति की महिला लाछा गूजरी मदद मांगने के लिए तेजाजी के पास आई, महिला ने बताया कि उसकी गायों को मीना चोर ले गए। चोरों से गायों को छुड़ावा कर लाएं, तेजाजी ने कहा कि गांव वालों को भेजो, तब महिला ने कहा कि आप तलवार-भाला रखते हैं, इसलिए यह काम आप ही कर सकते हैं। तेजाजी ने गायों को चोरों से छुड़ाने का वचन दिया, वचन पूरा करने के लिए तेजाजी घोड़ी पर सवार होकर किशनगढ़ के समीप पहुंचे। यहां चोरों से युद्ध कर वह गायों को छुड़ाकर ले आए, लेकिन एक गाय का बछड़ा चोरों के पास ही रह गया। लाछा गूजरी ने कहा कि पूरी गायों का मोल वह बछड़ा ही था, जिसे आप लेकर नहीं आए। तेजाजी वापस बछड़ा छुड़ाने के लिए रवाना हुए, यहीं खेजड़ी के पास पहुंचे जहां सर्प की बाम्बी थी. बाम्बी के समीप आग की लपटें देख तेजाजी ने सर्प को जलने से बचा लिया. इस पर सर्प खुश होने की जगह दुखी होकर बोला कि तुमने रुकावट डाला है, इसलिए मैं तुम्हे डसुंगा, तेजाजी ने सर्प को वचन दिया कि वो बछड़े को चोरों से छुड़ाकर लाएंगे, उसके बाद वो उन्हें डस सकते हैं। चोरों से भयानक युद्ध करने के बाद तेजाजी ने बछड़ा छुड़ा लिया और उसे लाछा गूजरी को सौंप दिया। वचन निभाने के लिए सांप के पास पहुंचे तो पूरे शरीर पर जख्म देखकर सांप ने डसने से मना कर दिया। तेजाजी ने वचन पूरा करने के लिए अपनी जीभ निकालकर कहा कि यहां घाव नहीं है और मेरी जीभ अभी सुरक्षित है, तब सर्प ने तेजाजी की जीभ पर डसा। सर्प ने वचनबद्ध रहने से प्रसन्न होकर तेजाजी को वरदान दिया कि वह सर्पों के देवता बनेंगे. सर्प से डसे हर व्यक्ति का विष तेजाजी के थान पर आने पर खत्म हो जाएगा.

पेमल का विवाह तेजाजी से बाल्यकाल में ही 1074 ईस्वी में पुष्कर में हुआ था, जब तेजाजी 9 महीने के और पेमल 6 महीने की थीं। जब तेजाजी गायों की रक्षा करते हुए शहीद हो गए, तब पेमल ने सती प्रथा का पालन किया और पेमल सती हो गई थी।

  • सैदरिया – यहां पर तेजाजी को नाग देवता से डसा था।
  • सुरसुरा – यहां पर तेजाजी ने प्राण त्याग दिए थे।
  • खरनाल – यहां पर तेजाजी का जन्म हुआ था।
  • पनेर – यहां पर तेजाजी का ससुराल था।
  • सुरसुरा तेजाजी का मुख्य निर्वाण स्थली (समाधि स्थल) है, जबकि खरनाल उनकी जन्मस्थली है।

वीर तेजाजी के अन्य पूजा स्थल –

  • भांवता, नागौर में
  • ब्यावर, अजमेर में
  • बांसी दुगारी, बूंदी में
  • परबतसर, नागौर में
  • सुरसुरा, किशनगढ़ ( अजमेर ) में
  • माड़वालिया, अजमेर में
  • भांवता, नागौर में
  • पनेर, अजमेर में
  • खड़नाल, नागौर में
  • तेजाजी का एक मंदिर चेन्नई (तमिलनाडु)के पुझल शक्तिवेल नगर में एक भव्य मंदिर है, जहाँ लीलण पर सवार तेजाजी की 51 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित है।