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राजस्थान के प्रमुख बांध Rajasthan ke bandh

राजस्थान क्षेत्रफल के हिसाब से भारत का सबसे बड़ा राज्य हैं जिसे राजस्थान कुछ क्षेत्र में बारिश भी कम होती है इसलिए राजस्थान में बहुत सारे तालाब, नदिया ओर झिले हैं।
राजस्थान में बहने वाली प्रमुख नदियाँ बनास , चंबल, माही, सेई, मानसी, जवाई नदी आदि हैं। इन नदियों पर राज्य को पानी उपलब्ध कराने के लिए विभिन्न बांध बनाए गए हैं।
राजस्थान के कुछ प्रमुख बांधों में बीसलपुर बांध, जाखम बांध, मोरेल बांध, जवाहर सागर बांध, मेजा बांध, कोटा बैराज आदि हैं।

बीसलपुर बांध –  बीसलपुर बांध राजस्थान के देवली तहसील, टोंक जिले में बनास नदी पर स्थित गुरुत्वाकर्षण प्रकार का बांध  है।
यह बांध बनास, डाई तथा खारी नदियों के संगम पर स्थित है । इस बांध का निर्माण अजमेर के चौहान वंश के राजा बिसलदेव चौहान/ विगृहराज चतुर्थ ने करवाया था।

बीसलपुर बांध राजधानी जयपुर समेत कई जिलों की लाइफलाइन कहा जाता है। यह बांध टोंक, अजमेर, सवाई माधोपुर  किशनगढ़, ब्यावर और जयपुर ग्रामीण समेत क्षेत्रों के लोगों की कई सालों से प्यास बुझा रहा है, ये राजस्थान की सबसे बड़ी पेयजल परियोजना है इस बांध से नहरो से सिचाई भी की जाती है इस बांध के कुल 18 गेट है बाँध के किनारे प्रसिद्ध बीसलदेव मन्दिर है। बीसलपुर बांध के तट पर मत्स्य विभाग ने मछली एक्वेरियम व प्रजनन केन्द्र बनाया गया है।

राणा प्रताप सागर बांध – राणा प्रताप सागर बांध राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में रावतभाटा में चंबल नदी पर स्थित है। यह चंबल नदी पर बना दूसरा सबसे बड़ा बांध है चंबल नदी पर सबसे बड़ा बांध गांधी सागर, जो कि मध्य प्रदेश में है चम्बल नदी घाटी परियोजना मैं 4 बांध बनाये गये थे, गांधी सागर, राणा प्रताप सागर, जवाहर सागर और कोटा बेराज है राणा प्रताप सागर बांध ग्यारह सौ मीटर लंबा तथा 36 मीटर चौड़ा है।राणा प्रताप सागर बांध विश्व का सबसे सस्ता बांध है जिसका निर्माण ₹31 करोड़ में किया गया था ।
राणा प्रताप सागर बांध के निर्माण का कार्य 1970 में पूर्ण किया गया। इस बांध पर कनाडा के संयोग से परमाणु बिजलीघर की स्थापना की गई है। जल क्षमता की दृष्टि से ये राजस्थान का सबसे बड़ा बांध है।

गांधी सागर बांध- गांधी सागर बांध का निर्माण 1960 में चंबल नदी पर मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले की भानपुर तहसील में किया गया। गांधी सागर बांध 510 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है। गांधी सागर बांध के ऊपर विद्युत गृह का निर्माण किया गया है

माही बजाज सागर बांध (Mahi Bajaj Sagar Dam) – माही बजाज सागर बांध बोरखेड़ा गांव, बांसवाड़ा में माही नदी पर स्थित है। यह परियोजना राजस्थान एवं गुजरात  की संयुक्त परियोजना है
बांध की ऊंचाई – 43.8 मीटर (144 फीट) , लंबाई – 3,109 मीटर (9,905 फीट)  और बिजली उत्पादन – 140 मेगावाट. बिजली उत्पादन का उपयोग 100%  राजस्थान सरकार करती है जिसका 55 प्रतिशत निर्माण खर्च गुजरात सरकार ने वहां किया है, तथा शेष 45 प्रतिशत राजस्थान सरकार द्वारा वहां किया गया है।
इस बांध का निर्माण 1972 और 1983 के बीच जलविद्युत उत्पादन और जल आपूर्ति के उद्देश्य से किया गया था । यह राजस्थान का सबसे लंबा और दूसरा सबसे बड़ा बांध है। इसका नाम जमनालाल बजाज के नाम पर रखा गया है


जवाहर सागर बांध – जवाहर सागर बांध चंबल नदी पर चंबल घाटी परियोजनाओं की श्रृंखला में तीसरा बांध है , जो कोटा शहर से 29 किमी ऊपर और राणा प्रताप सागर बांध से 26 किमी नीचे की ओर स्थित है। यह एक कंक्रीट गुरुत्वाकर्षण बांध है, 45 मीटर ऊंचा और 393 मीटर लंबा, स्थापित क्षमता 60 मेगावाट बिजली पैदा करता है। इसका निर्माण 1972 में पूरा हुआ था। बांध की सकल भंडारण क्षमता 67.07 मिलियन क्यूबिक मीटर (2.37 टीएमसीएफटी) है। ये बांध गांधी सागर बांध और राणा प्रताप सागर बांध के बाद स्थित है, लेकिन कोटा बैराज से पहले । इस बांध से कोटा तथा बूंदी को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी इस बांध का निर्माण विद्युत उत्पादन के लिए किया गया। यह एक पिकअप बांध है

कोटा बैराज बांध – कोटा बैराज बांध चंबल नदी पर राजस्थान के कोटा शहर में स्थित है। कोटा बैराज बांध जल विद्युत का उत्पादन नहीं करता है। बैराज का निर्माण 1960 में पूरा हुआ था। चंबल कमांड क्षेत्र में राजस्थान कृषि ड्रेनेज अनुसंधान परियोजना कनाडा की अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसी के सहयोग से चलाई जा रही है
बैराज का मुख्य उद्देश्य राजस्थान और मध्य प्रदेश के किसानों को सिंचाई और जल की आपूर्ति करना है।

मेजा बांध– मेजा बांध राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र में कोठारी नदी पर स्थित है। यह भीलवाड़ा का सबसे बड़ा बांध है।कोठारी नदी बनास नदी की सहायक नदी है|
यह झील विभिन्न पक्षियों और स्तनधारियों का आवास है।
भीलवाड़ा मेजा बांध भीलवाड़ा शहर से 20 किमी दूर स्थित है। पास के क्षेत्र में एक प्रसिद्ध ग्रीन माउंट पार्क है।

जवाई बांध-जवाई बांध राजस्थान के पाली जिले में सुमेरपुर कस्बे के पास लूनी नदी की सहायक नदी जवाई नदी पर है। इसका निर्माण जोधपुर के राजा महाराजा उमैद सिंह ने करवाया था। बांध में 7887.5 मिलियन क्यूबिक फीट की क्षमता है,निर्माण कार्य 12 मई 1946 को शुरू हुआ और यह 1957 में पूर्ण हुआ। जवाई बांध पश्चिमी राजस्थान का सबसे बड़ा बांध है।जवाई बांध को मारवाड़ का अमृत सरोवर कहा जाता है।जवाई बांध की जल क्षमता बढ़ाने के लिए 1971 से सेइ बांध परियोजना बनाई गई,सेई बांध का जल प्रथम बार 9 अगस्त 1977 को जवाई बांध में डाला गया. जवाई बांध का निर्माण इंजीनियर ऐडगर और मोती सिंह की देखरेख में हुआ।
यह झील प्रवासी पक्षियों और मगरमच्छों का प्रमुख स्थल है बांध के आसपास की पहाड़ियाँ तेंदुओं और जंगली बिल्लियों के लिए जानी जाती हैं।

मोरेल बांध – मोरेल बांध राजस्थान के लालसोट शहर में कांकरिया गांव के पास मोरेल नदी पर बना है। मोरेल बांध सवाई माधोपुर व दौसा जिले की जीवनरेखा के रूप में माना जाता है। मोरेल बांध में पानी की आवक ढूंढ नदी व मोरेल नदी से होती है  यह एक मिट्टी का बाँध है। यह बांध वर्ष 1959 में बनाया गया था और इसका निर्माण मुख्य उद्देश्य सिंचाई है।

जाखम बांध – जाखम बांध का निर्माण प्रतापगढ़ जिले की अनूपपूरा के पास करवाया गया।
जाखम बांध जाखम नदी पर 81 मीटर की ऊंचाई पर बनाया गया है।यह बांध राजस्थान का सबसे ऊंचा बांध है।
इस बांध का निर्माण जनजाति उपयोजना के अंतर्गत किया गया था। जाखम नदी के ऊपर एक विद्युत गृह का निर्माण भी किया गया है।

पांचना बांध – इस बांध का निर्माण करौली जिले की गुडला गांव के पास पांच नदियों (भद्रावती, अटा, माची, बरखेड़ा तथा भैंसावर) के संगम पर मिट्टी से किया गया है। राजस्थान में यह मिट्टी का बना सबसे बड़ा बांध है। इस बांध का निर्माण अमेरिका के आर्थिक सहयोग से किया गया है।

बरेठा बांध – यह बांध भरतपुर जिले की बयाना तहसील के बरेठां गांव में स्थित है।
1866 में महाराजा जसवंत सिंह ने कमांडर इंजीनियर बहादुर रॉयल, कोकुंड नदी पर एक बांध का निर्माण शुरू किया था, जिसे 1897 में महाराजा राम सिंह ने पूर्ण करवाया।
इस बांध को वन्य जीव अभ्यारण के रूप में भी घोषित किया गया है इस बांध की बनावट एक जहाज जैसी है अंत यह दूर से जहाज के समान दिखाई देता है
यह भरतपुर का सबसे बड़ा बांध है इस बांध में मत्स्य पालन विभाग द्वारा मछली पालन में मछली बीज संग्रहण का कार्य भी किया जाता है।

टोरड़ी सागर बांध – इस बांध का निर्माण टोंक जिले की टोली गांव में किया गया है।इस बांध की प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें सभी मोरिया खोलने पर एक बूंद पानी भी बांध में नहीं रुकता है।

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