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राजस्थान के जैविक उद्यान (बायोलॉजिकल पार्क)

राजस्थान में राष्ट्रीय उद्यान (National Park in Rajasthan)

राजस्थान में पांच प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान हैं, जो अपनी अनूठी पारिस्थितिकी और जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध हैं। राजस्थान के ये राष्ट्रीय उद्यान प्रकृति, वन्यजीव और इतिहास का अनूठा संगम हैं।

राजस्थान में वर्तमान में 27 वन्यजीव अभयारण्य हैं। इसके अतिरिक्त, राज्य में 5 राष्ट्रीय उद्यान, 5 जैविक उद्यान, 39 कन्वेंशन रिजर्व और 33 आखेट निषिद्ध क्षेत्र भी हैं. राजस्थान में कई प्रसिद्ध वन्यजीव अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यान हैं, जिनमें से कुछ तो विश्व स्तर पर अपनी पहचान बना चुके हैं।

राजस्थान, जिसे अक्सर ‘किंग्स की भूमि’ कहा जाता है, प्रकृति का एक अनमोल उपहार भी है। यहाँ पर शुष्क रेगिस्तान से लेकर हरे-भरे जंगल और खूबसूरत झीलें हैं, जो अनगिनत प्रजातियों के वन्यजीवों और पक्षियों का घर हैं।

राष्ट्रीय उद्यान जिला क्षेत्रफल राष्ट्रीय उद्यान घोषित
रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान सवाई माधोपुर 1,334 वर्ग किलोमीटर1980
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान भरतपुर 29 वर्ग किलोमीटर1982
सरीस्का राष्ट्रीय उद्यानअलवर 881 वर्ग किलोमीटर1982
मुकुंदरा हिल्स नेशनल पार्ककोटा, चित्तौड़गढ़, झालावाड़ और बूंदी 200.54 वर्ग किलोमीटर2004
राष्ट्रीय मरू उद्यान(डेजर्ट नेशनल पार्क)जैसलमेर और बीकानेर 3162 वर्ग किलोमीटर1980
  1. रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान (Ranthambore National Park) – रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में स्थित है और ये बाघों के लिये विश्व प्रसिद्ध हैं। यहां पर जीप सफारी के लिये देश विदेश से लोग आते हैं।
  • राजस्थान में बाघों की सबसे अधिक संख्या रणथंभौर टाइगर रिजर्व में पाई जाती है। यह राजस्थान का सबसे बड़ा और सबसे प्रसिद्ध टाइगर रिजर्व है।
  • रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत स्थापित होने वाला राजस्थान का पहला बाघ अभयारण्य है और 1980 राजस्थान का पहला राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था। जबकि इसको अभयारण्य का दर्जा 1955 में ही मिल गया था। राजस्थान के सभी अभयारण्य में से रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान में सबसे ज्यादा वन्यजीव पाये जाते हैं।
  • त्रिनेत्र गणेश मंदिर सवाई माधोपुर जिले के रणथंभौर में स्थित है। यह मंदिर रणथंभौर किले के अंदर स्थित है यहां भगवान गणेश त्रिनेत्र रूप में विराजमान हैं, जिनके साथ उनकी पत्नियां रिद्धि और सिद्धि तथा पुत्र शुभ और लाभ भी हैं त्रिनेत्र गणेश मंदिर (रणत भंवर गणेश मंदिर) का निर्माण हम्मीरदेव चौहान ने करवाया था।
  • यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल में शामिल रणथंभौर किला रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान के कोर क्षेत्र में स्थित है।
  • कुत्ता की छतरी सवाई माधोपुर में रणथंभौर दुर्ग के पास स्थित है। कुकुर घाटी राजस्थान में रणथंभौर दुर्ग के पास स्थित है। यह एक ऐतिहासिक स्मारक है जो एक राजघराने ने कुत्ते की याद में बनाया गया था।
  • पदम तालाब रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान के भीतर स्थित है। ऐसा माना जाता है कि यही वह झील है जहाँ राजकुमारी पद्मावती स्नान करती थीं और यही वह जगह भी है जहाँ उन्होंने सती होने का संकल्प लिया था। इसी पदम तालाब में रानी रंगादेवी और उनकी बेटी देवलदे ने 1301 में रणथंभौर में जल जौहर किया था
  • 1301 में अलाउद्दीन खिलजी ने रणथंभौर पर आक्रमण किया, हम्मीर देव चौहान युद्ध में मारे गए। अपनी रक्षा के लिए, रानी रंगादेवी ने जल जौहर करने का फैसला किया।
  • 1301 में रणथंभौर में हुये जौहर को राजस्थान के इतिहास में पहला और एकमात्र जल जौहर को माना जाता है।
  • जोगी महल पदम तालाब के किनारे रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान में स्थित है।

2. सरिस्का टाइगर रिजर्व (Sariska Tiger Reserve) – सरिस्का टाइगर रिजर्व राजस्थान में अलवर जिले में स्थित हैसरिस्का टाइगर रिजर्व को 1955 में वन्यजीव अभयारण्य के रूप में स्थापित और सरिस्का टाइगर रिजर्व को 1978 में प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल किया गया था। सरिस्का को 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था।

  • राजस्थान का सबसे छोटा टाइगर रिजर्व सरिस्का टाइगर रिजर्व है।
  • सरिस्का टाइगर रिजर्व के अंदर पांडुपोल हनुमान मंदिर, भानगढ़ का किला और कांकलवाड़ी किला जैसे ऐतिहासिक महत्व रखने वाले स्थल हैं।
  • 2004 में बाघों की आबादी शून्य हो गई थी, जिसके बाद 2008 में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत बाघों को पुनर्वास के लिए रणथंभौर नेशनल पार्क से सरिस्का में स्थानांतरित किया गया और 2023 तक बाघों की संख्या लगभग 28 हो गयी है।

3. केवलादेव घाना राष्ट्रीय उद्यान (Keoladeo Ghana National Park) – केवलादेव घाना राष्ट्रीय उद्यान राजस्थान के भरतपुर जिले में स्थित है। केवलादेव घाना राष्ट्रीय उद्यान को पक्षियों का स्वर्ग कहा जाता है। भारत के बर्ड मैन सलीम अली के प्रयासों से , 1956 में भरतपुर पक्षी अभयारण्य बना था।

  • केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को 1982 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा प्राप्त हुआ।
  • 1985 में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया।
  • केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को 1981 में रामसर सूची में शामिल किया गया। इसका नाम केवलादेव (भगवान शिव) के मंदिर के नाम पर रखा गया है, जो उद्यान के अंदर स्थित है।
  • केवलादेव घाना पक्षी अभयारण्य प्रवासी साइबेरियन सारसों (क्रेन) के लिए प्रसिद्ध है ये पक्षी प्रजनन और भोजन के लिए यहां आते हैं। केवलादेव में विभिन्न प्रकार के प्रवासी और निवासी पक्षी जैसे साइबेरियन क्रेन, पेलिकन, बगुला, सारस, किंगफिशर और कई अन्य पाये जाते हैं
  • अजान बांध से केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पानी की सप्लाई की जाती है।
  • केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पानी गंभीर नदी और बाणगंगा नदी द्वारा आता है।
  • पांचना बांध (करौली), गंभीर नदी पर बना है और पांचना बांध भर जाने पर पानी गंभीर नदी मे छोड़ा जाता है और ये पानी अजान बांध में जाता है।
  • अजान बांध (भरतपुर), केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में गंभीर नदी पर स्थित है, इसका निर्माण राजा सूरजमल ने करवाया था

4. मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व (Mukundra Hills Tiger Reserve) – मुकुंदरा हिल्स राष्ट्रीय उद्यान कोटा, बूंदी, झालावाड़ और चित्तौड़गढ़ जिलों में फैला हुआ है और इसे दर्रा राष्ट्रीय उद्यान के नाम से भी जाना जाता है।

  • 1955 में इसे वन्यजीव अभयारण्य (दर्रा वन्यजीव अभयारण्य) घोषित किया गया।
  • मुकुंदरा हिल्स राष्ट्रीय उद्यान दो समानांतर पहाड़ियों, मुकुंदरा और गागरोला के बीच एक घाटी में बसा है, जो विंध्य पर्वत श्रृंखला का हिस्सा हैं।
  • 2004 में मुकुंदरा हिल्स नेशनल पार्क को राष्ट्रीय उद्यान बनाया गया था।
  • 2013 में मुकुंदरा हिल्स नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व बनाया गया था,जिससे यह राजस्थान का तीसरा टाइगर रिजर्व बना।
  • मुकुंदरा हिल्स नेशनल पार्क चंबल, काली, आहू और रमजान नदियों से घिरा हुआ है।
  • गागरोन दुर्ग राजस्थान के झालावाड़ जिले में काली, सिंध और आहु नदी के संगम पर बना है। यह एक जल दुर्ग है।
  • गरडिया महादेव मंदिर कोटा में है, जो चंबल नदी के किनारे पर स्थित है।
  • यह भी बाघों और अन्य वन्यजीवों का घर है। यहां बाघ, तेंदुआ, भालू, हिरण की प्रजातियाँ और विभिन्न पक्षी पाये जाते हैं।

5. डेजर्ट नेशनल पार्क मरू राष्ट्रीय उद्यान) – डेजर्ट नेशनल पार्क राजस्थान के जैसलमेर और बीकानेर जिले मेंं फेला हुआ है और इसे राष्ट्रीय मरू उद्यान के नाम से भी जाना जाता है।

  • राजस्थान का सबसे बड़ा अभ्यारण्य राष्ट्रीय मरु उद्यान (National Desert Park) है। यह 3162 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यह उद्यान ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (गोडावण) के संरक्षण के लिए भी महत्वपूर्ण है अलावा, यह कई अन्य पक्षियों और जीवों का भी घर है, जैसे कि सफेद पीठ वाले गिद्ध ,चिंकारा और रेगिस्तानी लोमड़ी
  • मरु राष्ट्रीय उद्यान को 1980 में राष्ट्रीय उद्यान के रूप में स्थापित किया गया था।
  • अकाल वुड फॉसिल पार्क राजस्थान के जैसलमेर जिले में स्थित है। अकाल वुड फॉसिल पार्क मरुभूमि राष्ट्रीय उद्यान का हिस्सा है और इसे राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक स्मारक घोषित किया गया है
  • जैसलमेर के पास स्थित डेजर्ट नेशनल पार्क थार रेगिस्तान के अनूठे पारिस्थितिकी तंत्र का प्रतिनिधित्व करता है। यह शुष्क और बंजर भूमि में रहने वाले वन्यजीवों का घर है। यहां आप ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (गोडावण) को देख सकते हैं।

राजस्थान के राष्ट्रीय उद्यान सिर्फ वन्यजीवों को देखने का स्थान नहीं हैं, बल्कि ये प्रकृति के साथ जुड़ने और भारत की अविश्वसनीय जैव विविधता को समझने का एक शानदार अवसर भी प्रदान करते हैं। वन्यजीवों को देखने के लिए अक्टूबर से मार्च का समय सबसे अच्छा माना जाता है, जब मौसम सुहावना होता है।

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राजस्थान के जैविक उद्यान (बायोलॉजिकल पार्क)

राजस्थान के जैविक उद्यान (बायोलॉजिकल पार्क)

राजस्थान के जैविक उद्यान: वर्तमान में राजस्थान में 5 बायोलॉजिकल पार्क (जैविक उद्यान) है राजस्थान में कई राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य हैं, लेकिन जैविक उद्यान एक विशेष श्रेणी के हैं, जो संरक्षण, शिक्षा और जानवरों के लिए एक सुरक्षित आवास प्रदान करने पर केंद्रित हैं। राजस्थान के जैविक उद्यान (बायोलॉजिकल पार्क) राज्य की समृद्ध जैव विविधता का प्रमाण हैं।

जैविक उद्यान के अंतर्गत सरकार एक ऐसे क्षेत्र को विकसित करती है जंहा किसी विशेष प्रजाति के वनस्पति या जीव- जंतुओं का संरक्षण और प्रबंध किया जाता है। राजस्थान में वर्तमान में 5 बायोलॉजिकल पार्क हैं। जो की निम्न प्रकार है

  • 1. सज्जनगढ़ जैविक उद्यान (उदयपुर)
  • 2. माचिया बायोलॉजिकल पार्क (जोधपुर)
  • 3. नाहरगढ़ जैविक उद्यान (जयपुर)
  • 4. अभेड़ा जैविक उद्यान (कोटा)
  • 5.मरुधरा जैविक उद्यान (बीकानेर)
बायोलॉजिकल पार्क जिलालोकार्पण वर्ष
सज्जनगढ़ जैविक उद्यान उदयपुर12 अप्रैल 2015
माचिया बायोलॉजिकल पार्क जोधपुर20 जनवरी 2016
नाहरगढ़ जैविक उद्यान जयपुर4 जून 2016
अभेड़ा जैविक उद्यान कोटा18 दिसम्बर 2021
मरुधरा जैविक उद्यान बीकानेरनिर्माण कार्य चल रहा है

1. नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क (जयपुर) – नाहरगढ़ जैविक उद्यान राजस्थान के जयपुर में स्थित है. नाहरगढ़ जैविक उद्यान का लोकार्पण जयपुर में 4 जून 2016 को हुआ था।उसके बाद 2016 में राम निवास जयपुर चिड़ियाघर को नाहरगढ़ प्राणी उद्यान में स्थानांतरित कर दिया गया। नाहरगढ़ जैविक उद्यान बनाने की घोषणा सबसे पहले हुई थी

अरावली पहाड़ियों की गोद में बसा यह पार्क वन्यजीव प्रेमियों के लिए स्वर्ग है। यह सिर्फ एक चिड़ियाघर नहीं है यह विभिन्न प्रकार के जानवरों और पक्षियों के लिए प्रसिद्ध है। यह विशेष रूप से बंगाल टाइगर, एशियाई शेर, तेंदुआ और सुस्त भालू जैसे जानवरों के लिए जाना जाता है। आप यहाँ सांभर और चीतल जैसे हिरण और विभिन्न प्रकार के पक्षी भी देख सकते हैं, जो इसे पक्षी प्रेमियों के लिए एक आदर्श स्थान बनाते हैं।

हाथी सफारी और इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए नाहरगढ़ जूलॉजिकल पार्क बनाया गया था। नाहरगढ़ जैविक उद्यान की हाथी सफारी काफी लोकप्रिय है।

राजस्थान में पर्यटकों के सर्वाधिक आगमन और पर्यटकों से सबसे ज्यादा आय वाला जैविक उद्यान नाहरगढ़ जैविक उद्यान है।

2. सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क( उदयपुर)- सज्जनगढ़ जैविक उद्यान राजस्थान का पहला बायोलॉजिकल पार्क है। 12 अप्रैल 2015 को सज्जनगढ़ जैविक उद्यान लोकार्पण हुआ था। सज्जनगढ़ जैविक उद्यान राजस्थान के उदयपुर जिले में स्थित है.

उदयपुर में प्रसिद्ध मानसून पैलेस (सज्जनगढ़ पैलेस) के नीचे स्थित, सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ ऐतिहासिक महत्व को भी जोड़ता है। इस पार्क की स्थापना का उद्देश्य क्षेत्र की जैव विविधता को सुरक्षित करना और लुप्तप्राय जानवरों के लिए एक सुरक्षित घर प्रदान करना था। यहां सरीसृप, बाघ, नीलगाय, सांभर, वन्य सूअर, हनीस, पेंथर और गॉल्स देखे जा सकते हैं।

इस पार्क की एक अनूठी विशेषता इसका ऑगमेंटेड रियलिटी (AR) ऐप है। यहाँ आने वाले लोग ऐप का उपयोग करके पार्क के शुभंकर के साथ बातचीत कर सकते हैं और जानवरों के बारे में अधिक जान सकते हैं।

3. माचिया बायोलॉजिकल पार्क (जोधपुर) – माचिया जैविक उद्यान राजस्थान के जोधपुर में कायलाना झील के पास स्थित है। 20 जनवरी 2016 को माचिया जैविक उद्यान लोकार्पण हुआ। जोधपुर का माचिया बायोलॉजिकल पार्क परिवार के साथ घूमने के लिए एक आदर्श स्थान है। यह रेगिस्तान और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों के वन्यजीवों में रुचि रखने वालों के लिए एक प्रमुख गंतव्य है। माचिया सफारी पार्क में हिरण, रेगिस्तानी लोमड़ी, नीलगाय, जंगली बिल्लियाँ और विभिन्न प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं। आप पार्क के माध्यम से जीप सफारी का आनंद ले सकते हैं। पार्क के किले से सूर्यास्त का शानदार दृश्य भी देखने को मिलता है, जो आपकी यात्रा को यादगार बना देता है।

4. अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क (कोटा) – 18 दिसंबर 2021 को अभेड़ा जैविक उद्यान लोकार्पण हुआ। अभेड़ा जैविक उद्यान राजस्थान के कोटा जिले में स्थित एक बायोलॉजिकल पार्क है।

5. मरुधरा जैविक उद्यान (बीकानेर) – मरुधरा जैविक उद्यान, राजस्थान के बीकानेर में स्थित है, जिसे वन्यजीव संरक्षण और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया गया है। यह उद्यान मरुस्थलीय क्षेत्र की जैव-विविधता को प्रदर्शित करता है और स्थानीय प्रजातियों, जैसे चिंकारा, काले हिरण, और विभिन्न पक्षियों को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मरुधरा जैविक उद्यान का अभी भी निर्माण कार्य चल रहा है, इसका अभी उद्घाटन नहीं हुआ है।

6. पुष्कर जैविक उद्यान (अजमेर) – पुष्कर जैविक उद्यान अभी निर्माणाधीन है।

जैविक उद्यान में किसी विशेष जानवर को रखने के लिए उसके अनुकूल प्राकृतिक वातावरण बनाया जाता है, जिससे पर्यटक के क्षेत्र को भी बढ़ावा मिलता है, जैसे जयपुर के नाहरगढ़ बायलॉजिकल पार्क में पर्यटको के लिए टाइगर सफारी उपलब्ध कराई जाती है, इसके लिए लोगो को रणथम्भौर टाइगर रिज़र्व या सरिस्का टाइगर रिज़र्व जाना नहीं पड़ता है। जैविक उद्यान आमतौर पर शहरों या कस्बों के पास स्थित होते हैं, ताकि पर्यटक आसानी से विजिट कर सके।

जैविक उद्यान का महत्त्व:-

लुप्तप्राय प्रजातियों का संरक्षण: इनमें से कई पार्क महत्वपूर्ण प्रजनन कार्यक्रमों में शामिल हैं जो दुर्लभ और लुप्तप्राय जानवरों को विलुप्त होने से बचाने में मदद करते हैं।

शिक्षा और जागरूकता: ये शैक्षिक केंद्रों के रूप में कार्य करते हैं, जहाँ आगंतुकों को जैव विविधता के महत्व और वन्यजीव संरक्षण की चुनौतियों के बारे में सिखाया जाता है।

इको-टूरिज्म: जानवरों को देखने के लिए एक सुरक्षित और सुखद वातावरण प्रदान करके, वे स्थायी इको-टूरिज्म को बढ़ावा देते हैं और संरक्षण प्रयासों के लिए धन जुटाने में मदद करते हैं।

सीएम भजनलाल शर्मा ने भरतपुर में बायोलॉजिकल पार्क खोलने की योजना है. ऐसे में राजस्व विभाग के साथ मिलकर केवलादेव उद्यान के मलाह क्षेत्र व आगरा-जयपुर हाइवे पर कुछ जमीनों का सर्वे किया गया है. साथ ही प्रस्ताव तैयार कर अनुमोदन के लिए राज्य सरकार को भेजा गया है. वहीं, इस पार्क के निर्माण में करीब 70 करोड़ खर्च करने की योजना है.