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राजस्थान में संरक्षित क्षेत्र – Conservation reserve in Rajasthan

राजस्थान में कुल 39 कंजर्वेशन रिजर्व हैं, जिनमें 2 नए घोषित रिजर्व शामिल हैं। आसोप कंजर्वेशन रिजर्व (भीलवाड़ा) 37वां कंजर्वेशन रिजर्व था। राजस्थान के वन्यजीव विभाग ने हाल ही में 2 नए संरक्षण रिज़र्व घोषित किए हैं मोकला-पारेवर कंजर्वेशन रिजर्व,जैसलमेर और बुचारा मेन कंजर्वेशन रिजर्व, जयपुर हैं।

राष्ट्रीय उद्यान और राज्य के वन्य जीव अभयारण्य के आस पास वाले एरिया होता है, जिन्हे वन्यजीवों, वनस्पतियों, और जैव विविधता की संरक्षण के उद्देश्य से स्थापित किया जाता है, कॉन्सर्वेशन रिजर्व क्षेत्र कहा जाता है। काफी समय बाद इन्हें जरूरत के अनुसार कंजर्वेशन रिजर्व क्षेत्रों को राष्ट्रीय उद्यान या वन्य जीव अभयारण्य में शामिल कर दिया जाता है।

  • राजस्थान का सबसे बड़ा (221.69 वर्ग किमी) कंजर्वेशन रिजर्व, बालेश्वर संरक्षण रिजर्व, नीम का थाना (सीकर) हैं।
  • राजस्थान का सबसे छोटा कंजर्वेशन रिजर्व, बीड मुहाना (जयपुर) संरक्षण रिजर्व है (0.10 वर्ग किमी)
  • राजस्थान का पहला और सबसे पुराना संरक्षण रिजर्व बीसलपुर कंजर्वेशन रिजर्व है, जो टोंक जिले में स्थित है और 2008 में स्थापित किया गया था।
  • मोकला-पारेवर कंजर्वेशन रिजर्व,जैसलमेर और बुचारा मेन कंजर्वेशन रिजर्व, जयपुर की घोषणा 2025 में हुई हैं।
  • बारां में सबसे ज्यादा (7) कंजर्वेशन रिजर्व है।
कंजर्वेशन रिजर्वकंजर्वेशन रिजर्व का जिला कंजर्वेशन रिजर्व घोषित वर्ष
बीसलपुर संरक्षण रिजर्वटोंक 2008
जोहड़बीड गढ़वाला संरक्षण रिजर्वबीकानेर 2008
सुंधामाता संरक्षण रिजर्व (3 जालोर + 1 सिरोही)जालोर सिरोही 2008
गुढ़ा विश्नोई संरक्षण रिजर्वजोधपुर 2011
शाकम्भरी संरक्षण रिजर्वसीकर – झुंझुनूं 2012
गोगेलाव संरक्षण रिजर्वनागौर 2012
रोटू संरक्षण रिजर्वनागौर 2012
बीड झुंझुनू संरक्षण रिजर्वझुंझुनूं 2012
उम्मेदगंज पक्षी विहार संरक्षण रिजर्वकोटा2012
जवाई बांध लेपर्ड संरक्षण रिजर्वपाली 2013
बांसियाल खेतड़ी संरक्षण रिजर्वझुंझुनूं 2017
बांसियाल खेतड़ी बागोर संरक्षण रिजर्व झुंझुनूं 2018
जवाई बांध लैपर्ड -II संरक्षण रिजर्वपाली 2018
मनसा माता संरक्षण रिजर्वझुंझुनूं 2019
शाहबाद संरक्षण रिजर्वबारां 2021
रणखार संरक्षण रिजर्वजालोर 2022
शाहबाद तलहेटी संरक्षण रिजर्वबारां 2022
बीड घास फुलिया खुर्द संरक्षण रिजर्वभीलवाड़ा 2022
बाघदरा मगरमच्छ संरक्षण रिजर्वउदयपुर 2022
वाडाखेड़ा कंजर्वेशन रिजर्वसिरोही
झालाना-अमागढ़ कंजर्वेशन रिजर्वजयपुर
रामगढ़ संरक्षण रिजर्व बारां
खरमोर संरक्षण रिजर्वअजमेर
सोरसन -1 संरक्षण रिजर्वबारां
हमीरगढ़ संरक्षण रिजर्वभीलवाड़ा
कुरंजा संरक्षण रिजर्व, खींचनफलौदी
बंझ अमली संरक्षण रिजर्वबारां
सोरसन -3 संरक्षण रिजर्वबारां
गंगा भैरव घाटी रिजर्वअजमेर
बीड फतेहपुर संरक्षण रिजर्वसीकर
बीड मुहाना संरक्षण रिजर्व-Aजयपुर
बीड मुहाना संरक्षण रिजर्व- Bजयपुर
सोरसन -2 संरक्षण रिजर्वबारां
अमरख महादेव तेंदुआ संरक्षण रिजर्वउदयपुर
बालेश्वर संरक्षण रिजर्व नीम का थाना, सीकर
महसीर संरक्षण रिजर्व उदयपुर
आसोप संरक्षित क्षेत्र भीलवाड़ा 2024
बुचारा मेन कंजर्वेशन रिजर्वजयपुर 2025
मोकला-पारेवर कंजर्वेशन रिजर्वजैसलमेर 2025
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पटवारी 2025 की कटऑफ – Patwari exam 2025 cut off

राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड (RSMSSB) ने पटवारी 2025 परीक्षा 17 अगस्त को दो शिफ्ट में आयोजित की गई। पटवारी 2025 परीक्षा 3705 रिक्तियों को भरने के लिये आयोजित की गई है।

परीक्षा में कुल 150 प्रश्न पूछे गये और प्रत्येक प्रश्न 2 नंबर का था। राजस्थान पटवारी परीक्षा में नकारात्मक अंकन (नेगेटिव मार्किंग) होती है। प्रत्येक सही उत्तर के लिए +2 अंक दिए जाते हैं, जबकि प्रत्येक गलत उत्तर के लिए 1/3 अंक काटे जाते हैं। कुल 300 नंबर का पेपर था।

पटवारी 2025 की कटऑफ अभी प्रकाशित नहीं हुई है, राजस्थान पटवारी कट ऑफ की घोषणा अंतिम परिणाम के साथ की जाएगी। लेकिन अपेक्षित पटवारी कट ऑफ सभी कोचिंग संस्थान ने जारी की है। फाइनल कट ऑफ और अपेक्षित कट ऑफ में+/- 5 नंबर का अंतर आ सकता है।

  • Utkarsh classes Rajasthan के अनुसार General की cutoff 260 मार्क्स रहेगी।
  • सुभाष Charan sir के अनुसार General की cutoff 230-260 मार्क्स रहेगी।
अपेक्षित पटवारी कट ऑफ 2025(Non -TSP Area)
Coaching Gen.EWSOBCSCST
Lakshya classes Udaipur 226-230220-228222-228204-210200-205
Quality Education 235-240225-230235-240210-215210-215
SKB Education 144226236216210
Ashu GK trick 240-250230-240236-240220-230210-220
Booster Academy 225-235220-225220-230200-210195-200
online sarthi 250240244236230
Mind Map 232-235222-226230-234210-214206-210
Genuine classes 226-230220225205200
अपेक्षित पटवारी कट ऑफ 2025(TSP Area)
Coaching Gen.EWSOBCSCST
Quality Education 201-215200-205160-165
Mind Map 205193-197153-157

RSMSSB PATWARI EXAM 2025 की सभी जानकारी RSMSSB की main website पर मिल जाएगी और फाइनल cutoff भी rsmssb की मैं website पर ही जारी होगी जिसका लिंक नीचे है।

https://rsmssb.rajasthan.gov.in/page?menuName=EJwE/Y7GD1hMok0YfKTFOtUJMJFGLBa;455611;jbRgWtRe9q4=

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राजस्थान के अभयारण्य – Sanctuaries of Rajasthan

राजस्थान अपने राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभ्यारण्यों के लिए प्रसिद्ध है। 23 अप्रैल 1951 को राजस्थान वन्य-पक्षी संरक्षण अधिनियम 1951 लागू किया गया। वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 भारत सरकार द्वारा 9 सितंबर 1972 को लागू किया गया था। राजस्थान में इसे 1 सितंबर 1973 को लागू किया गया था।

42वें संविधान संशोधन, 1976 द्वारा वनों को राज्य सूची से हटाकर समवर्ती सूची में डाल दिया गया।

वन्यजीव अभयारण्य जिला अभयारण्य घोषित
बंध बारेठा अभयारण्य भरतपुर 1985
कुंभलगढ़ अभयारण्य राजसमंद, पाली, उदयपुर 1971
माउंट आबू अभयारण्य सिरोही 1960
सीतामाता अभयारण्य प्रतापगढ़ 1979
ताल छापर अभयारण्य चूरू 1966
कैलादेवी वन्यजीव अभयारण्यकरौली, सवाईमाधोपुर 1983
फुलवारी की नाल अभयारण्य उदयपुर 1983
टॉडगढ़ रावली अभयारण्यपाली, राजसमंद, ब्यावर 1983
जमवारामगढ़ अभयारण्य जयपुर 1982
राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल अभयारण्यकोटा, सवाईमाधोपुर, बूंदी, धौलपुर, करौली 1979
भैंसरोड़गढ़ अभयारण्य चित्तौड़गढ़ 1983
बस्सी अभयारण्यचित्तौड़गढ़ 1988
जवाहर सागर अभयारण्यकोटा, बूंदी, चित्तौड़गढ़ 1975
शेरगढ़ अभयारण्यबारां 1983
जयसमंद अभयारण्यउदयपुर 1957
नाहरगढ़ जैविक अभयारण्यजयपुर 1977
रामसागर अभयारण्य धौलपुर 1955
वन विहार अभयारण्य धौलपुर1955
केसरबाग अभयारण्य धौलपुर1955
सज्जनगढ़ अभयारण्य उदयपुर 1987
सरिस्का ‘अ’ अभयारण्य अलवर
सवाई मानसिंह अभयारण्य सवाईमाधोपुर 1984
सरिस्का अभयारण्यअलवर
रामगढ़- विषधारी अभयारण्य बूंदी

कुंभलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य (राजसमंद, पाली, उदयपुर) :- कुंभलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित है और राजसमंद, उदयपुर, और पाली जिलों भी इस अभ्यारण्य में शामिल है। इसे 1971 में स्थापित किया गया था। बनास नदी का उद्गम कुंभलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य में स्थित खमनौर पहाड़ियों से होता है, जो राजसमंद जिले में कुंभलगढ़ के पास स्थित है। कुंभलगढ़ किला कुंभलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य के अंदर स्थित है।

बंध बारेठा अभयारण्य (भरतपुर) :- बंध बारेठा वन्यजीव अभयारण्य राजस्थान के भरतपुर जिले की बयाना तहसील में स्थित है। बंध बारेठा बांध का निर्माण 1866 में महाराजा जसवंत सिंह ने कुकुंद नदी पर शुरू किया था और 1897 में महाराजा राम सिंह के शासनकाल में पूरा हुआ।

माउंट आबू अभयारण्य (सिरोही) :- माउंट आबू वन्यजीव अभयारण्य राजस्थान के सिरोही जिले के माउंट आबू में स्थित है। अरावली की सबसे ऊँची चोटी गुरु शिखर भी माउंट आबू वन्यजीव अभयारण्य में स्थित है। गुरु शिखर की ऊँचाई 1722 मीटर है। आबू अभयारण्य में लगभग 820 पुष्प प्रजातियाँ पाई जाती हैं। यह राजस्थान का एकमात्र ऐसा स्थान है जहाँ विभिन्न प्रकार के ऑर्किड देखे जा सकते हैं। इस अभयारण्य में जंगली गुलाब की 3 प्रजातियाँ और फेरस की 16 प्रजातियाँ पाई जाती हैं।

सीतामाता अभयारण्य (प्रतापगढ़) :- सीतामाता वन्यजीव अभयारण्य प्रतापगढ़ जिले में स्थित है और इसका नाम सीता माता मंदिर से लिया गया है, जो अभयारण्य के भीतर स्थित है। उड़न गिलहरी (Petaurista philippensis), चौसिंगा हिरण और पेंगोलिन सीतामाता वन्यजीव अभयारण्य में पाई जाती हैं। जाखम, करमोई और सीता नदियां अभयारण्य से होकर बहती हैं।

ताल छापर अभयारण्य (चूरू) :- ताल छापर वन्यजीव अभयारण्य राजस्थान के चुरू जिले में सुजानगढ़ तहसील के पास स्थित है। ताल छापर अभयारण्य काले हिरण (ब्लैकबक) लिए प्रसिद्ध है और अभयारण्य में घास के मैदान में पाई जाने वालीं सेवन, धामन, और मोथिया जैसी घास के लिए प्रसिद्ध हैं।

कैलादेवी वन्यजीव अभयारण्य (करौली, सवाईमाधोपुर) :- कैला देवी मंदिर के नाम पर अभयारण्य का नाम रखा गया है जो की इस अभ्यारण्य के अंदर ही स्थिति है। कैलादेवी अभयारण्य रणथंभौर टाइगर रिजर्व का बफर जोन है।

फुलवारी की नाल वन्यजीव अभयारण्य (उदयपुर) :- फुलवारी की नाल वन्यजीव अभयारण्य राजस्थान के उदयपुर जिले में कोटड़ा और झाड़ोल तहसीलों में स्थित है। फुलवारी की नाल अभयारण्य से मानसी, वाकल और सोम नदियों का उद्गम होता है। फुलवारी की नाल वन्यजीव अभयारण्य राजस्थान का एकमात्र अभयारण्य है जहाँ काला धौंक (Anogeisus pendula) नहीं मिलता।

टॉडगढ़ रावली वन्यजीव अभयारण्य (पाली, राजसमंद, ब्यावर) :- टॉडगढ़ रावली वन्यजीव अभयारण्य राजस्थान के ब्यावर, पाली और राजसमंद जिलों में फैला हुआ है। इसका नाम ब्रिटिश अधिकारी कर्नल जेम्स टॉड के नाम पर पड़ा।

गोरम घाट हेरिटेज ट्रेन (गोरम घाट रेलवे ट्रैक ,मीटर गेज) टॉडगढ़ रावली वन्यजीव अभयारण्य के झरनों और सुरंगों से होकर गुजरती है। भील बेरी झरना, दुधलेश्वर महादेव मंदिर, प्रज्ञा शिखर और दिवेर स्थल इसी अभ्यारण्य में स्थित है।

जमवारामगढ़ वन्यजीव अभयारण्य (जयपुर) :- जमवारामगढ़ वन्यजीव अभयारण्य जयपुर में स्थित है 1982 के एशियाई खेलों के दौरान रामगढ़ बांध में रोइंग प्रतियोगिताएँ आयोजित की गई थीं और अभी रामगढ़ बांध सुख गया है इसमें पानी लाने के लिए क्रत्रिम वर्षा कराने की कोशिश की जा रही है।

राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल अभयारण्य (कोटा, सवाईमाधोपुर, बूंदी, धौलपुर, करौली) :- यह अभयारण्य मुख्य रूप से गंभीर रूप से लुप्तप्राय घड़ियाल, लाल मुकुट वाले कछुए (रेड-क्राउन्ड रूफ टर्टल) और गंगा नदी की डॉल्फिन के संरक्षण के लिए चंबल नदी के आसपास क्षेत्र में बनाया गया था।

भैंसरोड़गढ़ अभयारण्य (चित्तौड़गढ़) :- भैंसरोड़गढ़ वन्यजीव अभयारण्य राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित है, जो चंबल और ब्राह्मणी नदियों के संगम पर फैला हुआ है।

बस्सी अभयारण्य (चित्तौड़गढ़) :- बस्सी वन्यजीव अभयारण्य चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संरक्षित क्षेत्र है, जो बस्सी कस्बे के पास स्थित है। यह अभयारण्य बस्सी किले से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर है।

जवाहर सागर अभयारण्य (कोटा, बूंदी, चित्तौड़गढ़) :- जवाहर सागर वन्यजीव अभयारण्य ,राजस्थान के कोटा जिले में स्थित है, जो जवाहर सागर बांध (जिसे भीम सागर बांध के नाम से भी जाना जाता है) के आसपास फैला हुआ है।

शेरगढ़ अभयारण्य (बारां) :- शेरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य बारां जिले में स्थित है, जो अटरू तहसील के शेरगढ़ कस्बे के पास फैला हुआ है।

  • यह परवन नदी के किनारे स्थित है, जो अभयारण्य को दो असमान भागों में विभाजित करती है।
  • घोड़े की नाल के आकार की घाटी इसकी खासियत है
  • शेरगढ़ किला, कुंडा खोह जलप्रपात, पाड़ा खोह आकर्षण स्थान इसी अभ्यारण्य के अन्दर हैं।
  • शेरगढ़ अभयारण्य को सांपों की शरणस्थली कहां जाता है।

जयसमंद अभयारण्य (उदयपुर) :- जयसमंद अभयारण्य राजस्थान के उदयपुर जिले में स्थित है। यह अभयारण्य जयसमंद झील के आसपास फैला हुआ है और जयसमंद झील, जिसे ढेबर झील के नाम से भी जाना जाता है, एशिया की दूसरी सबसे बड़ी कृत्रिम झील है

नाहरगढ़ जैविक अभयारण्य (जयपुर) :- नाहरगढ़ जैविक अभयारण्य जयपुर शहर से लगभग 12-15 किलोमीटर दूर, नाहरगढ़ किले के पास स्थित है।

केसरबाग अभयारण्य, वन विहार अभयारण्य, रामसागर अभयारण्य तीनों अभ्यारण्य राजस्थान के धौलपुर जिले में स्थित है।

सज्जनगढ़ अभयारण्य (उदयपुर) :- सज्जनगढ़ वन्यजीव अभयारण्य राजस्थान के उदयपुर जिले में स्थित है। इस अभयारण्य के पास में सज्जनगढ़ पैलेस (मानसून पैलेस) पास स्थित है

सवाई मानसिंह अभयारण्य (सवाईमाधोपुर) :- सवाई मानसिंह वन्यजीव अभयारण्य राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में स्थित है, जो रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान का बफर जोन माना जाता है।

सरिस्का ‘अ’ अभयारण्य (अलवर) :- राजस्थान के अलवर जिले में स्थित है।

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राजस्थान में बाघ अभयारण्य – Tiger Reserve in Rajasthan

राजस्थान में पांच प्रमुख बाघ अभयारण्य (टाइगर रिजर्व) हैं: रणथंभौर, सरिस्का, मुकुंदरा हिल्स, रामगढ़ विषधारी और धौलपुर-करौली, कुंभलगढ़ को छठा टाइगर रिजर्व बनाने का प्रस्ताव है।

अपने किलों, महल और संस्कृति के लिए मशहूर राजस्थान शुरू से ही दुनियाभर के पर्यटकों के लिए एक खास पहचान रखता है। यही वजह है कि हर साल यहां देश-विदेश से लाखों की संख्या में पर्यटक यहां की विरासत, परंपरा, झीलों, किलों आदि को देखने के लिए आते हैं। राजस्थान के ये बाघ अभ्यारण्य अपने आप में एक अलग ही रोमांच पैदा करते हैं। इन्हें देखने के लिए मशहूर हस्तियों के साथ-साथ राजनेता भी इनका दीदार करने के लिए आते हैं। इन्हें देखने के लिए लोग इनका घंटों तक इंतजार करते हैं।

प्रोजेक्ट टाइगर – प्रोजेक्ट टाइगर भारत सरकार द्वारा 1 अप्रैल, 1973 को उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क से शुरू किया गया था। प्रोजेक्ट टाइगर का उद्देश्य देश में बाघों (पैंथेरा टाइग्रिस) की घटती आबादी को बचाना और उनके प्राकृतिक आवासों को संरक्षित करना है। देश के प्रसिद्ध जीव विज्ञानी कैलाश सांखला (Kailash Sankhala) को इस कार्यक्रम का पहला निदेशक नियुक्त किया गया था, उन्हें 1992 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। भारत के “टाइगर मैन” के रूप में कैलाश सांखला को जाना जाता है।राजस्थान में यह परियोजना 5 प्रमुख बाघ अभयारण्यों के माध्यम से संचालित होती है।

बाघ अभयारण्यबाघ अभयारण्य घोषित बाघ अभयारण्य का क्षेत्र
रणथंभौर टाइगर रिजर्व 1973सवाईमाधोपुर
सरिस्का टाइगर रिजर्व1978अलवर
मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व2013कोटा, बूंदी, झालावाड़
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व2022बूंदी, कोटा
धौलपुर-करौली टाइगर रिजर्व2023धौलपुर, करौली

रणथंभौर टाइगर रिजर्व (सवाई माधोपुर): यह राजस्थान का सबसे पहला और सबसे बड़ा बाघ अभयारण्य है। यह बाघों को देखने के लिए सबसे प्रसिद्ध स्थानों में से एक है। दुनिया में सबसे ज्यादा फोटो खींचे जाने वाली बाघिन मछली भी यहीं पाई जाती थी। वर्ष 2016 में उसका निधन हो गया था। इस अभ्यारण्य को 1955 में सवाई माधोपुर खेल अभयारण्य के रूप में स्थापित किया गया था। रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत स्थापित होने वाला राजस्थान का पहला बाघ अभयारण्य है और 1980 राजस्थान का पहला राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था। लगभग 1,334 वर्ग किलोमीटर के विशाल क्षेत्र में फैला यह अभ्यारण्य वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग है और तत्कालीन शाही शिकारगाह का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था।

सरिस्का टाइगर रिजर्व (अलवर): यह राजस्थान का दूसरा बाघ अभयारण्य है, जो अपनी बाघों की आबादी के लिए जाना जाता है। शुरू में यहां राजघराने के सदस्य शिकार करने के लिए आते थे, लेकिन वर्तमान समय में यह बाघों के लिए एक संरक्षित अभ्यारण्य है। सरिस्का को वर्ष 1955 में वनस्पति और वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया था और सरिस्का टाइगर रिजर्व को 1978 में प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल किया गया था। सरिस्का को 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था। 2004 में बाघों की आबादी शून्य हो गई थी, जिसके बाद 2008 में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत बाघों को पुनर्वास के लिए रणथंभौर नेशनल पार्क से सरिस्का में स्थानांतरित किया गया और 2025 तक बाघों की संख्या लगभग 44 हो गयी है।

मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व (कोटा, बूंदी, झालावाड़, चित्तौड़गढ़): यह राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र में स्थित है और चार जिलों कोटा, बूंदी, चित्तौड़गढ़ और झालावाड़ में फैला हुआ है। यह तीन वन्यजीव अभयारण्यों दर्रा वन्यजीव अभयारण्य, जवाहर सागर वन्यजीव अभयारण्य और राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य का कुछ हिस्सा, का एक संयोजन है और कोटा के राजाओं का पूर्व शाही शिकारगाह था।

  • यह रिज़र्व मगरमच्छ और घड़ियाल के लिए भी जाना जाता है।
  • मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिज़र्व, रणथंभौर टाइगर रिज़र्व में बाघों की बढ़ती आबादी के दबाव को कम करने में भी मदद करता है, क्योंकि वहां से बाघों को यहां स्थानांतरित किया जाता है। हाल ही में यहां दुर्लभ कैराकल (एक जंगली बिल्ली) को भी देखा गया है, जो इस क्षेत्र की जैव विविधता के लिए एक शुभ संकेत है।
  • इसे 1955 में वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया था।
  • 2004 में इसे मुकुंदरा हिल्स (दर्रा) राष्ट्रीय उद्यान के रूप में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिला।

रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व (कोटा, बूंदी): यह राजस्थान के बूंदी जिले में स्थित है, और इसका कुछ हिस्सा भीलवाड़ा और कोटा जिले में भी आता है। यह अभयारण्य रणथंभौर बाघ अभयारण्य और मुकुंदरा हिल्स बाघ अभयारण्य के बीच एक महत्वपूर्ण गलियारे (कॉरिडोर) के रूप में कार्य करता है, जिससे बाघों की आवाजाही बनी रहती है। इसे आमतौर पर रणथंभौर बाघ अभयारण्य में पनप रहे बाघों का प्रसूति गृह माना जाता है। चंबल नदी की एक सहायक नदी मेज नदी , रामगढ़ विषधारी बाघ अभयारण्य से होकर बहती है। मई 2022 में, इसे भारत के 52वां और राजस्थान का चौथा टाइगर रिजर्व अधिसूचित किया गया।

धौलपुर-करौली टाइगर रिजर्व (धौलपुर, करौली): धौलपुर-करौली टाइगर रिजर्व, राजस्थान के धौलपुर और करौली जिलों में स्थित एक बाघ अभयारण्य है। यह भारत का 54वाँ और राजस्थान का 5वाँ टाइगर रिजर्व है, जिसे अगस्त 2023 में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) द्वारा अनुमोदित किया गया था। यह राजस्थान का सबसे नया और सबसे छोटा बाघ अभयारण्य है। यह मुकुंदरा से रामगढ़ तक 1253 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है धौलपुर जिले में पहले ही केशरबाग, वन विहार, रामसागर, चंबल और धौलपुर सेंचुरी को मिलाकर नया टाइगर रिजर्व बनाया गया है

इनके अलावा, कुंभलगढ़ को छठा टाइगर रिजर्व बनाने का प्रस्ताव है.

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Rajasthan GK Book – राजस्थान GK बुक

राजस्थान जीके (Rajasthan GK) की बाजार में बहुत सारी किताबें उपलब्ध हैं, जो नवीनतम जिलों के अनुसार अपडेटेड हैं। यह नवीनतम संस्करण किताबें 41 जिलों और 7 संभागों के अनुसार राजस्थान जीके को कवर करती है

17 मार्च 2023 को, माननीय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी ने 17 नए जिलों और 3 नए संभागों के निर्माण की घोषणा की थी, जिसकी आधिकारिक अधिसूचना 7 अगस्त 2023 को प्रकाशित की गई। तत्पश्चात, 17 जिलों और 3 नए संभागों में से 9 जिलों और तीनों नए संभागों को 30 दिसंबर 2024 की आधिकारिक अधिसूचना द्वारा निरस्त कर दिया गया।

इस प्रकार, अब राजस्थान में कुल जिलों की संख्या 41 और संभागों की संख्या 7 हो गई है।

राजस्थान रामबाण 2.0 बुक :- “राजस्थान रामबन 2.0” मदन सर द्वारा लिखी गई एक पुस्तक है, जो राजस्थान की सभी परीक्षाओं के लिए उपयोगी है. यह पुस्तक माइंड मैप (Mind Map) तकनीक का उपयोग करके बनाई गई है, जिसमें नवीनतम 41 जिलों के अनुसार राजस्थान जीके को कवर किया गया है यह 2025 के नए सिलेबस के अनुसार है और इसमें राजस्थान के इतिहास, कला, संस्कृति, भूगोल, अर्थव्यवस्था और राजनीति जैसे विषयों को शामिल किया गया है. यह पुस्तक अपनी सरल भाषा शैली के लिए जानी जाती है, जिससे पाठकों को आसानी से समझ में आ जाता है यह पुस्तक संपूर्ण सिलेबस को कवर करती है और विस्तृत नोट्स और महत्वपूर्ण प्रश्न प्रदान करती है

आप “राजस्थान रामबन 2.0” पुस्तक को अमेज़न (Amazon) और फ्लिपकार्ट (Flipkart) जैसी ऑनलाइन वेबसाइटों पर खरीद सकते हैं.

“ramban 2.0 book madan sir” पुस्तक की MRP 475 है लेकिन ये बुक आपको कुछ दुकानों पर 400 रुपये से कम में भी मिल सकती है।

Daksh Rajasthan Sar Sangrah :- यह किताब राजस्थान के इतिहास, भूगोल, संस्कृति, अर्थव्यवस्था और सामान्य ज्ञान के विषयों को कवर करती है। सार संग्रह (Sar Sangrah) पुस्तक की MRP 680 है लेकिन ये बुक आपको कुछ दुकानों पर 300 रुपये से कम में भी मिल सकती है। Daksh की ऑनलाइन वेबसाइट (darkshbook.com) पर ये बुक आपको 280 में मिल जाएगी

Rajasthan Sar Sangrah by Utkarsh :- राजस्थान Saar Sangrah पुस्तक राज्य स्तरीय सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अत्यंत उपयोगी है। इस पुस्तक में राजस्थान के भूगोल, अर्थव्यवस्था, इतिहास, कला एवं संस्कृति, राज्यव्यवस्था, और विविध तथ्यों का संग्रह किया गया है। Rajasthan Sar Sangrah by Utkarsh पुस्तक की MRP 230 है लेकिन ये बुक आपको कुछ दुकानों पर 200 रुपये से कम में भी मिल सकती है। Utkarsh की ऑनलाइन वेबसाइट पर ये बुक आपको 218 में मिल जाएगी

राजस्थान Saar Sangrah की पुस्तक sanjeev publication and dhindhwal publication की भी book आती है जो भी बुक आपको अच्छी लगती है और जो आपके नजदीकी बुक स्टोर पर उपलब्ध है वह बुक ले सकता है

Rajasthan gk black book :- राजस्थान सामान्य ज्ञान (GK) के लिए, ‘संकल्प गंगानगर’ द्वारा प्रकाशित “राजस्थान GK Black Book” एक लोकप्रिय पुस्तक है. यह 41 जिलों और 7 संभागों के अनुसार जानकारी प्रदान करती है इस पुस्तक में राजस्थान के भूगोल, अर्थव्यवस्था, इतिहास, कला एवं संस्कृति, राज्यव्यवस्था, और विविध तथ्यों का संग्रह किया गया है।

rajasthan gk black book पुस्तक की MRP 599 है लेकिन ये बुक आपको कुछ दुकानों पर 300 रुपये से कम में भी मिल सकती है।

सिखवाल राजस्थान मानचित्रवली 2025 – यह पुस्तक RAS, SI, REET, I, II, III ग्रेड, पुलिस कांस्टेबल, पटवार, ग्रामसेवक और राजस्थान कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उपयोगी है। यह पुस्तक 2025 संस्करण के लिए अद्यतन की गई है और राजस्थान की 41 जिलों और 7 संभागों का विवरण प्रदान करती है। sikhwal manchitrawali book पुस्तक की MRP 160 है लेकिन ये बुक आपको कुछ दुकानों पर 120 रुपये से कम में भी मिल सकती है।

springboard handwritten notes – इसमे 4 बुक आती है और ये 4 किताबें आपको 500 से लेकर 800 के बीच ऑनलाइन या ऑफलाइन मिल जाएंगी

springboard handwritten notes राजवीर सर द्वारा बनाया गया है 4 किताब में से 2 किताब राजवीर सर ने लिखी है 1 बुक विजय सिहाग सर और 1 बुक दिलीप सर ने लिखी है राजवीर सर ने राजस्थान का इतिहास और राजस्थान की कला और संस्कृति के नोट्स लिखे हैं Rajveer sir के springboard handwritten notes ऑनलाइन और ऑफलाइन खरीद सकते हैं

लुसेंट राजस्थान सामान्य ज्ञान :- यह एक लोकप्रिय और व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली पुस्तक है जो राजस्थान के सामान्य ज्ञान को कवर करती है.

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राजस्थान पुलिस कांस्टेबल सैलरी

राजस्थान पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2025 :- राजस्थान पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2025 चयनित उम्मीदवारों को 2 साल की प्रोबेशन अवधि में केवल 14,600 रुपये का निश्चित मासिक वेतन मिलेगा.

राजस्थान पुलिस कांस्टेबल की सैलरी 2 साल बाद में 36,000 रुपये से 40,000 रुपये प्रति माह के बीच होने की उम्मीद है, जिसमें सभी भत्ते और कटौती शामिल हैं राजस्थान पुलिस कांस्टेबल का वेतन पे मैट्रिक्स लेवल 5 (7वें वेतन आयोग पर आधारित) के अनुसार दिया जाता है

राजस्थान पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2025 के तहत कुल 10,000 पदों पर भर्ती की जाएगी. ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया 28 अप्रैल 2025 से शुरू हो चुकी है और इच्छुक उम्मीदवार 25 मई 2025 तक आवेदन कर सकते हैं योग्य उम्मेदवार आधिकारिक वेबसाइट से जाकर आवेदन कर सकते हैं ( police.rajasthan.gov.in )

राजस्थान पुलिस कांस्टेबल की सैलरी

Basic salary21400
DA11342
HRA2140
Mess allowances 2400
Hard Duty allowance 2729
Gross Salary 40011
Deduction from salary
GPF (for pension)1450
RGHS(Health insurance)440
Roadways pass200
Total Deduction 2090
In Hand salary 37921 = (4011-2090)

राजस्थान में पुलिस कांस्टेबलों को कई तरह के भत्ते और लाभ दिए जाते हैं।

  • पेंशन
  • चिकित्सकीय सुविधाएं
  • भविष्य निधि
  • मकान किराया भत्ता
  • उपहार
  • महंगाई भत्ता
  • परिवहन भत्ता

राजस्थान पुलिस कांस्टेबल का इन-हैंड वेतन आमतौर पर मूल वेतन और भत्तों को जोड़कर निकाला जाता है। फिर, प्रोविडेंट फंड, कर आदि से कुल राशि घटा दी जाती है। राजस्थान पुलिस कांस्टेबल का प्रति माह इन-हैंड वेतन 36,000-40,000 रुपये प्रति माह के बीच होगा।

राजस्थान पुलिस कांस्टेबल पद के लिए परिवीक्षा अवधि दो वर्ष होगी। इस अवधि के दौरान उन्हें पे लेवल 5 के तहत 14,600 रुपये प्रति माह का निश्चित वेतन मिलेगा।

राजस्थान पुलिस और पूरे पुलिस विभाग को उनकी सेवा अवधि और काम के प्रति समर्पण के अनुसार पदोन्नति मिलती है। पहली पदोन्नति आपकी सेवा के 9 साल बाद दी जाती है, दूसरी पदोन्नति आपकी सेवा के 18 साल बाद, तीसरी 27 साल की सेवा के बाद और अंत में आपकी सेवा के 36 साल बाद दी जाती है

पुलिस कांस्टेबल का काम सिर्फ वर्दी पहनना नहीं है

  • सार्वजनिक सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देना।
  • 🚨 कानून व्यवस्था बनाए रखना: शांति और सद्भाव सुनिश्चित करना।
  • 🕵️‍♂️ अपराधों की रोकथाम और जांच: समाज को सुरक्षित रखना।
  • 🤝 सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करना: हर नागरिक की रक्षा करना।
  • 🆘 नागरिकों की सहायता करना: जब भी आपको हमारी ज़रूरत हो, हम हाज़िर हैं। यह सिर्फ एक नौकरी नहीं, यह राष्ट्र सेवा है एक चुनौतीपूर्ण और सम्मानजनक करियर है

राजस्थान पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2025: 10,000+ पदों के लिए आवेदन शुरू,

राजस्थान पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2025 के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू हो गई है। यह भर्ती 10,000 से अधिक पदों पर की जा रही है, जो प्रदेश के युवाओं के लिए एक सुनहरा अवसर है।

महत्वपूर्ण तिथियां

  • आवेदन प्रारंभ तिथि: 28 अप्रैल 2025
  • आवेदन की अंतिम तिथि: 25 मई

शैक्षणिक योग्यता: आवेदक को किसी भी मान्यता प्राप्त बोर्ड से 12वीं कक्षा उत्तीर्ण होना अनिवार्य है।

CET अनिवार्यता: राजस्थान पुलिस कांस्टेबल भर्ती के लिए राजस्थान सीईटी (CET) परीक्षा उत्तीर्ण करना भी अनिवार्य है। बिना CET स्कोर के आवेदन स्वीकार नहीं किए जाएंगे।

इच्छुक और योग्य उम्मीदवार राजस्थान पुलिस की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन प्रक्रिया से संबंधित विस्तृत जानकारी और निर्देशों के लिए आधिकारिक अधिसूचना अवश्य देखें। यह उन सभी उम्मीदवारों के लिए एक शानदार अवसर है जो राजस्थान पुलिस का हिस्सा बनना चाहते हैं। तैयारी में जुट जाएं और इस अवसर का पूरा लाभ उठाएं!

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राजस्थान में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल | UNESCO World Heritage Sites in Rajasthan

यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट (UNESCO World Heritage Sites) की सूची में राजस्थान के कुल 9 ऐतिहासिक धरोहर हैं। इनमें आमेर महल, गागरोन फोर्ट, कुंभलगढ़, जैसलमेर, रणथंभौर और चित्तौड़गढ़ का किला हैं।

राजस्थान के कुल 9 ऐतिहासिक धरोहर हैं,जो यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट मैं शामिल है।

यूनेस्को किसी स्थान को विश्व धरोहर स्थल के रूप में तब नामित करता है जब उसे महत्वपूर्ण सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, वैज्ञानिक या अन्य महत्व का माना जाता है। किसी स्थल को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित करने का उद्देश्य मुख्य रूप से पृथ्वी पर मौजूद सांस्कृतिक विरासत की रक्षा और संरक्षण करना है।

  1. आमेर किला
  2. कुंभलगढ़ किला
  3. रणथंभौर किला
  4. चित्तौड़गढ़ किला
  5. गागरोन किला
  6. जैसलमेर किला
  7. जंतर मंतर ( जयपुर )
  8. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान
  9. जयपुर शहर

जयपुर शहर – 6 जुलाई 2019 को यूनेस्को ने राजस्थान के जयपुर शहर को विश्व धरोहर स्थल मैं शामिल किया। देश के सबसे पहले नियोजित शहरों में से एक जयपुर है

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान – 1985 मैं यूनेस्को ने राजस्थान के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान, भरतपुर को विश्व धरोहर स्थल मैं शामिल किया। मार्च 1990 में सांभर झील को रामसर साइट घोषित किया गया था और अक्टूबर 1981 में केवलादेव घाना राष्ट्रीय उद्यान को रामसर साइट घोषित किया गया था।

Amer fort

राजस्थान के छह पहाड़ी किलों चित्तौड़गढ़ किला (चित्तौड़गढ़), कुंभलगढ़ किला (राजसमंद), जैसलमेर किला (जैसलमेर), रणथंभौर किला (सवाई माधोपुर), गागरोन किला (झालावाड़), आमेर किला (जयपुर) को संयुक्त रूप से विश्व धरोहर सूची में जून 2013 में शामिल किया गया था।

जंतर-मंतर – जयपुर स्थित जंतर-मंतर को 31 जुलाई, 2010 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में शामिल किया गया था। दिल्ली, वाराणसी, उज्जैन और मथुरा में भी जंतर-मंतर हैं, लेकिन जयपुर का जंतर-मंतर यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में शामिल है. महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने 1734 में जंतर-मंतर का निर्माण करवाया था. जयपुर, दिल्ली, उज्जैन, मथुरा, और वाराणसी के सभी जंतर मंतर का निर्माण राजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने करवाया था.

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राजस्थान की प्रसिद्ध होली famous Holi in Rajasthan

होली रंगों का त्योहार है जो पूरी तरह से देश की सांस्कृतिक अपील का प्रतीक बन गया है। भारत आने वाले कई पर्यटक होली के जीवंत उत्सव के माहौल से मंत्रमुग्ध हो जाते हैं उदयपुर, जोधपुर और जयपुर में होली समारोह प्रसिद्ध हैं क्योंकि उन्हें शाही होली कहा जाता है। यहां तक ​​कि पुष्कर और रणथंभौर भी इसी तरह होली मनाते हैं।

राजस्थान की होली

क्र.सं. होली मनाने का रिवाजक्षेत्र
01लट्ठमार होलीकरोली और भरतपुर
02पत्थरमार होलीबाड़मेर व डूंगरपुर
03कोड़ामार होलीश्रीगंगानगर
04फूलों की होलीगोविन्द देवजी मंदिर, जयपुर
05ब्रज होलीभरतपुर
06माली होलीअजमेर
07धुलेंडी होलीजयपुर
08डोलची होलीबीकानेर
09चांग और गीदड़शेखावाटी
holi enjoy
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REET Mains Result 2023| REET Level-1 & Level-2 Cut Off Marks 2023

REET 2023 Mains Expected Cut off Marks – यहाँ से आप रीट 2023 की मुख्य परीक्षा के लिए संभावित कट ऑफ अंक देख सकते हैं, आपको यहाँ से Reet main exam 2023 के लिए सभी मुख्य कोचिंग संस्थानों द्वारा जारी की गई संभावित कट ऑफ अंक देख सकते हैं ! Reet 2023 के लिए rsmssb jaipur राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड जयपुर द्वारा कट ऑफ अंक भी अभी जारी नहीं हुए हैं, लेकिन परीक्षा में गए छात्रों से पूछकर और उनके द्वारा किए सर्वे के आधार पर ये कट ऑफ निकाल लिया गया हैं, आप इसे जरूर देखिऐ

REET Main Exam Level-1 2023 Category-Wise Cut Off 2023 Marks

CategoryExpected cut offExpected cut off %
GEN 205 – 21568-71%
OBC200-21066-70%
EWS 198 – 20865-68%
MBC 297 – 20765-68%
SC 190 – 20063-66%
ST 280 – 19060-63%

REET Mains 2023 Level 2 Expected Cut off Marks – आप यहाँ से रीट 2023 की मुख्य परीक्षा के लिए लेवल 2 में आयोजित सभी विषयों के लिए संभावित कट ऑफ को चेक कर सकते हैं, यहाँ से आप reet 2023 mains level 2 विषयों की यूट्यूब पर जारी शिक्षाविदों के द्वारा बताई गई कट ऑफ अंक चेक कर सकते हैं, ये कट ऑफ बिल्कुल सही तो नहीं हैं, लेकिन अभी जिन जिन अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी हैं ये इस आधार पर बनाई गई हैं , आप इस reet 2023 level 2 cut off subjectwise, को अपनी फाइनल कट ऑफ नहीं समझें ,

SubjectGenOBCMBCEWSSCST
science160-165155-160150-155155-160150-155149-154
SST190-200180-190178-188180-190175-180170-180
Hindi210-220205-210200-205205-210190-199185-195
English200-230190-220190-215190-220175-210170-205
Sanskrit 214-224208-214196-206204-210192-210188-196
Reet Level 2 Cut off 2023 tsp area
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राजस्थान सहकारिता Rajasthan Sahkarita

राजस्थान/भारत में सहकारिता आंदोलन

सहकारिता का सिद्धांत/नारा:-  ‘एक सबके लिए तथा सब एक के लिए’

सहकारिता का उद्देश्य:- सामाजिक आर्थिक विकास के साथ सामाजिक उत्थान

सहकारिता के ध्वज में 7 रंग होते है।

भारत में सहकारिता आंदोलन की शुरुआत भारतीय दुर्भिक्ष आयोग से मानी जाती है। इस आयोग की सिफारिश पर ‘सहकारी साख अधिनियम 1904’ पारित किया गया।

राजस्थान में सहकारिता आंदोलन की शुरुआत 1904 में अजमेर से हुई।

उद्देश्य:- किसानों को साख (ऋण) सुविधा उपलब्ध करवाना तथा उन्हें महाजनों एवं अन्य बिचौलियों से मुक्ति दिलाते हुए शोषण मुक्त समाज की स्थापना करना।

इसके बाद 1904 में डीग (भरतपुर) में सहकारी कृषि बैंक की स्थापना की गई।

अक्टूबर 1905 में राजस्थान के प्रथम सहकारी समिति की स्थापना भिनाय (अजमेर) में की गई।

अजमेर में ही 1910 में केंद्रीय सहकारी बैंक की स्थापना की गई।

1915 में सर्वप्रथम भरतपुर रियासत ने सहकारिता अधिनियम(कानून) बनाया।

राजस्थान में सहकारी उपभोक्ता आंदोलन आंदोलन की शुरुआत 1919 में अजमेर से हुई।

राजस्थान में प्रथम भूमि बंधक बैंक की स्थापना 1924 अजमेर में हुई थी।

आजादी के बाद राजस्थान में पहली बार 1953 में सहकारी समिति विधेयक पारित किया गया। 

राजस्थान राज्य सहकारी भूमि विकास बैंक की स्थापना 16 मार्च 1957 में जयपुर में की गयी थीं।

वर्तमान में सहकारिता अधिनियम 2001 आया था, जिसे 14 नवंबर 2002 को लागू किया गया।

राज्य में सहकारी बैंकों की संरचना त्रिस्तरीय है, राज्य में जिला स्तर पर केन्द्रीय सहकारी बैंक स्थापित किए जाते हैं।

राजस्थान की प्रथम महिला नागरिक सहकारी बैंक (राजपूताना महिला नागरिक बैंक) की स्थापना 1995 में जयपुर में की गई।

देश में सहकारी बैंकों में सुधार के लिए वैद्यनाथन कमेटी का गठन किया गया था।

प्रतिवर्ष 7 जुलाई को सहकारिता दिवस मनाया जाता है।

संसद ने दिसंबर 2011 में देश में सहकारी समितियों के प्रभावी प्रबंधन से संबंधित 97वां संविधान संशोधन पारित किया था। यह 15 फरवरी, 2012 से लागू हुआ था। संविधान में परिवर्तन के तहत सहकारिता को संरक्षण देने के लिए अनुच्छेद 19(1)(सी) में संशोधन किया गया और उनसे संबंधित अनुच्छेद 43 बी और भाग नौ बी को सम्मिलित किया गया।

वर्तमान में सहकारिता क्षेत्र में शीर्ष स्तर पर 29 केन्द्रीय सहकारी बैंक, 23 दुग्ध संघ, 38 उपभोक्ता थोक भंडार, 36 प्राथमिक भूमि विकास बैंक, 7,094 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियां, 274 फल एवं सब्जी विपणन समितियां, 22 सहकारी संघ एवं 37,642 सहकारी समितियां पंजीकृत हैं।

• राज्य में 35 अरबन को-ऑपरेटिव बैंक कार्यरत हैं।

राजस्थान में सहकारी संस्थाओं द्वारा अल्पकालीन, मध्यकालीन एवं दीर्घकालीन ऋण उपलब्ध कराए जाते हैं।

किसान सेवा पोर्टलः- ऋण आवेदन, सब्सिडी आदि के लिए एकीकृत मंच।

राज सहकार पोर्टल:- सहकारिता विभाग की योजनाओं और सुविधाओं के लिए एकीकृत मंच।

सहकारी विपणन संरचना:- राज्य में प्रत्येक मण्डी यार्ड पर 274 क्रय-विक्रय सहकारी समितियाँ किसानों को उपज का उचित मूल्य दिलवाने एवं प्रमाणित बीज, खाद्य एवं कीटनाशक दवाईयां उचित मूल्य पर उपलब्ध कराने का कार्य कर रही है।

• शीर्ष संस्था के रूप में राजस्थान क्रय-विक्रय सहकारी संघ (राजफैड) कार्यरत हैं।

सहकारी उपभोक्ता संरचना:- उपभोक्ताओं को कालाबाजारी और बाजार में कृत्रिम अभाव से बचाने के लिए जिला स्तर पर 38 सहकारी उपभोक्ता होलसेल भण्डार तथा शीर्ष संस्था के रूप में राजस्थान सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड (कॉनफेड) कार्यरत हैं।

राजस्थान में सहकारी संस्थाएं:-

RAJFED (Rajasthan State co-operative marketing federation limited)

(राजस्थान राज्य सहकारी क्रय-विक्रय संघ लिमिटेड)

• स्थापना – 1957

• मुख्यालय – जयपुर

• राजफैड का कार्य:- सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को उन्नत किस्मों के खाद बीज व कीटनाशक उपलब्ध करवाना।

• राजफैड द्वारा जयपुर के झोटवाड़ा में पशु आहार कारखाना एवं सहकारी कीटनाशक दवाई फैक्ट्री  संचालित है।

CONFED (Rajasthan State co-operative consumer federation limited)

(राजस्थान राज्य सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड)

• स्थापना – 1967

• मुख्यालय – जयपुर

• कॉनफेड का कार्य:- उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर गुणवत्तापूर्ण सामग्री उपलब्ध करवाना।

RCDF (Rajasthan State co-operative dairy federation limited)

(राजस्थान राज्य सहकारी दुग्ध संघ लिमिटेड)

• स्थापना – 1977

• मुख्यालय – जयपुर

• कार्य:- यह राज्य की सभी डेयरियों पर नियंत्रण रखती है तथा दुग्ध उत्पादकों को उचित मूल्य देकर उन्हें बिचौलियों के शोषण से बचाती है।

• राजस्थान की प्रथम डेयरी पद्मा डेयरी (अजमेर) है।

• उरमूल डेयरी – बीकानेर

• गंगमूल डेयरी – गंगानगर

• वरमूल डेयरी – जोधपुर

SPINFED (Rajasthan State co-operative spining and zining federation limited)

(राजस्थान राज्य सहकारी कताई एवं बुना संघ लिमिटेड)

• स्थापना – 1993

• मुख्यालय – जयपुर

• स्पिनफैड का कार्य:- कपास की खरीद करना और राज्य की सहकारी कताई मिलों का संचालन करना।

1. गुलाबपुरा सहकारी मिल‌ (भीलवाड़ा)

2. गंगापुर सहकारी मिल‌ (भीलवाड़ा)

3. श्री गंगानगर सहकारी कताई मिल‌ (हनुमानगढ़)

RICEM (Rajasthan Institute of co-operative education and management)

(राजस्थान सहकारी शिक्षा एवं प्रबंध संस्थान)

• स्थापना – 1994

• मुख्यालय – जयपुर

• राइसम का कार्य:- सहकारिता से जुड़े कर्मचारियों और अधिकारियों को प्रशिक्षण उपलब्ध करवाना।

राजस संघ:-

(राजस्थान जनजातीय क्षेत्रीय विकास सहकारी संघ)

• स्थापना – 1976

• मुख्यालय – उदयपुर

• कार्य:- जनजातीय लोगों को साहूकारों के ऋण शोषण से बचाना, उनकी निर्धनता दूर करना तथा वन उपज का उचित मूल्य दिलाना।

COPSEF (Co-operative welfare and service forum)

(सहकारिता कल्याण एवं सेवा संस्थान)

• स्थापना – 1988

• मुख्यालय – जयपुर

• कोपसेफ का कार्य:- सहकारिता से जुड़े ग्रामीणों को चिकित्सा सुविधा, शिक्षा, परिवार कल्याण सेवा उपलब्ध करवाना।

राजस्थान राज्य सहकारी बुनकर संघ लिमिटेड

• स्थापना – 1958

• मुख्यालय – जयपुर

• कार्य:- बुनकरों को कच्चा माल उपलब्ध करवाना तथा उनके माल की बिक्री की व्यवस्था करवाना।

तिलम संघ:-

राजस्थान राज्य तिलहन उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड।

राजस्थान राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड जयपुर (अपेक्स बैंक) का गठन कब किया गया ? – 14 अक्टूबर 1953 को।

राजस्थान राज्य सहकारी भूमि विकास बैंक – 26 मार्च 1957

सहकारी योजनाएं:-

एकमुश्त समझौता योजना वर्ष 2020-21:- इसके अन्तर्गत प्राथमिक भूमि विकास बैंकों के सभी प्रकार के अवधिपार ऋणों की ब्याज राशि में 50% की राहत दी जा रही हैं।

ज्ञान सागर क्रेडिट योजना:- राज्य में ग्रामीण एवं शहरी छात्र-छात्राओं को व्यवसायिक व तकनीकी पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने एवं छात्रों और अभिभावकों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने के उद्देश्य से यह योजना प्रारंभ की गई।

• भारत में शिक्षा प्राप्त करने पर 6 लाख रुपए तथा विदेश के लिए 10 लाख रुपए निर्धारित हैं। 

स्वरोजगार क्रेडिट कार्ड योजना:- इसके अन्तर्गत गैर कृषि गतिविधियों हेतु ₹50,000 तक का ऋण 5 वर्ष की अवधि तक के लिए दिया जाता हैं।

महिला विकास ऋण योजना:- भूमि विकास बैंकों द्वारा महिलाओं को गैर कृषि उद्देश्यों तथा डेयरी व्यवसाय हेतु ₹50,000 तक का ऋण दिया जाता है।

सहकार स्वरोजगार योजना

कृषि, अकृषि एवं सेवा क्षेत्र में स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराने हेतु 2लाख तक का ऋण।

जनमंगल आवास ऋण योजना

50 हजार से अधिक आबादी वाले शहरों और कस्बों में मकान खरीदने या बनाने के लिए 25 हजार से 5 लाख तक का ऋण उपलब्ध कराने के लिए शुरू की गई। 

कृषक मित्र सहकारी ऋण योजना (1997)

उद्देश्य:- नकदी फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देना और छोटे बड़े सभी काश्तकारों को सहकारी दायरे में लाना।

बेबी ब्लैंकेट योजना (1998):- आवास निर्माण, मरम्मत एवं रखरखाव हेतु 7लाख तक का ऋण।

सहकारी किसान कार्ड योजना (1999)

किसानों को आसानी से सहकारी कर्जें उपलब्ध कराने के उद्देश्य से समूचे देश में सबसे पहले सहकारी क्षेत्र में राजस्थान में को सहकारी किसान कार्ड योजना लागू की गई।

सहकारी किसान कल्याण योजना:- केद्रीय सहकारी बैंकों द्वारा कृषि और सम्बद्ध कृषि उद्देश्यों के लिए 

अधिकतम 10 लाख तक का ऋण दिया जाता है।

सहकारी आवास योजना:- मकान निर्माण, खरीद एवं विस्तार के लिए 15 वर्ष तक की अवधि के लिए 20 लाख तक का ऋण।

सहकार प्रभा योजना:-

ऋण स्वीकृति व वितरण में विलम्ब को समाप्त

विफल कूप क्षतिपूर्ति योजना

प्राथमिक सहकारी भूमि विकास बैंकों से ऋण प्राप्त कर कुंए खुदवाने पर उनके उद्देश्यों में विफल होने की स्थिति में काश्तकारों को राहत देने के उद्देश्य से विफल कूप क्षतिपूर्ति योजना चलाई जा रही है ।