राजस्थान में कई प्रमुख पर्यटन महोत्सव पर्यटन विभाग द्वारा मनाए जाते हैं, जैसे कि आभानेरी उत्सव, मारवाड़ उत्सव, पुष्कर मेला, चंद्रभागा मेला, पुष्कर मेला, मरू महोत्सव (जैसलमेर), हाथी महोत्सव (जयपुर), ऊंट महोत्सव (बीकानेर) और ग्रीष्मकालीन महोत्सव (माउंट आबू) शामिल हैं.
हाथी महोत्सव – हाथी महोत्सव जयपुर में अयोजित किया जाता है इस महोत्सव में सजे-धजे हाथियों, ऊंटों, और घोड़ों का जुलूस निकाला जाता है.
धुलण्डी उत्सव – सम्पूर्ण भारत में होलिका दहन के बाद अगले पूरे दिन धुलण्डी उत्सव (रंगों का त्योहार) मनाया जाता है। यह वसंत की शुरुआत का प्रतीक है। इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।
राजस्थान फैस्टिवल (राजस्थान उत्सव) -‘‘महाराजाओं की भूमि’’ राजस्थान – विविध रंगों से परिपूर्ण और उज्जवल और चटकीला है। राजस्थान अपना स्थापना दिवस बड़े ही दैदीप्यमान और उत्साहित रूप से मनाता है। राजस्थान का स्थापना दिवस हर साल 30 मार्च को मनाया जाता है यह उत्सव राजस्थान सरकार और पर्यटन विभाग के आयोजन से मनाया जाता है. इस उत्सव में राजस्थान की विरासत और कहानियों को याद किया जाता है.
गणगौर उत्सव – गणगौर उत्सव राजस्थान के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक गणगौर उत्सव है। अलग-अलग तौर-तरीकों से पूरे राजस्थान में इसे मनाया जाता है। “गण” भगवान शिव का एक पर्याय है और “गौरी” या “गौर” देवी पार्वती का, जो स्वर्ग में भगवान शिव की पत्नी /संगिनी हैं। शिव-पार्वती के साथ होने का उत्सव मनाना सुखी वैवाहिक जीवन का प्रतीक है। गणगौर की शुरुआत चैत्र महीने के पहले दिन से होती है और 18 दिनों तक मनाया जाता है
मेवाड़ उत्सव – मेवाड़ महोत्सव राजस्थान के उदयपुर में मनाया जाने वाला वार्षिक उत्सव है जो हिंदू महीने चैत्र के दौरान होता है राजस्थान के निवासियों उत्सव बसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है और गणगौर के साथ मनाया जाता है
ग्रीष्म उत्सव – माउंट आबू राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन माउंट आबू दो दिवसीय रंगारग ग्रीष्म उत्सव समारोह से ठंडक पहुँचाता है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन से आरम्भ होकर यह ग्रीष्म उत्सव पूरे दो दिन राजस्थानी संस्कृति को आत्मसात करता है। वैशाख महीने में बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर मनाया जाता है
तीज उत्सव – हरियाली तीज श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है कजरी तीज भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है, जो आमतौर पर अगस्त/सितंबर में आती है. बूंदी में कजली तीज का विशेष रूप से मनाया जाता है, जिसे बड़ी तीज भी कहा जाता है. राजस्थान में तीज त्यौहार, विशेषकर जयपुर और बूंदी में, एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक उत्सव है तीज का त्यौहार, वास्तव में मानसून के कारण उत्पन्न हरियाली, सामाजिक गतिविधियों, अनुष्ठानों और रिवाजों के साथ पक्षियों के आगमन का उल्लास मनाने का त्यौहार है
आभानेरी उत्सव – आभानेरी में स्थित चांद बावड़ी एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल है आभानेरी उत्सव राजस्थान के दौसा जिले के आभानेरी गाँव में आयोजित एक दो दिवसीय उत्सव है
दशहरा – राजस्थान का सबसे प्रसिद्ध दशहरा मेला कोटा में लगता है यह राजस्थान का सबसे बड़ा और पुराना दशहरा मेला है. अक्टूबर नवम्बर माह में प्रतिवर्ष नौ दिन नवरात्रों के उपरांत दशहरा के अवसर पर, कोटा दशहरा मेला ग्राउंड में भारत का प्रसिद्व 15 दिवसीय दशहरा मेले का शुभारम्भ होता है।
मारवाड़ उत्सव – मारवाड़ महोत्सव जोधपुर, राजस्थान में मनाया जाता है, पहले मांड महोत्सव के नाम से जाना जाता था. इस महोत्सव का मुख्य आकर्षण राजस्थान के शासकों की रोमांटिक जीवन शैली पर केंद्रित लोक संगीत और नृत्य है.
पुष्कर मेला – पुष्कर मेला जिसे पुष्कर ऊँट मेला भी कहा जाता है राजस्थान के पुष्कर शहर में आयोजित होने वाला वार्षिक बहु-दिवसीय पशुधन और सांस्कृतिक पर्व है। मेला कार्तिक के हिंदू कैलेंडर माह से शुरू होता है और कार्तिक पूर्णिमा पर समाप्त होता है।
मोमासर उत्सव – मोमासर उत्सव, राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र में मोमासर गाँव में मनाया जाता है,यह उत्सव मोमासर के स्थानीय निवासियों और जाजम फाउंडेशन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया जाता है. मोमासर, बीकानेर के शेखावाटी क्षेत्र का एक आकर्षक गाँव है ‘मोमसर उत्सव’ की नींव वर्ष 2011 में विनोद जोशी ने रखी थी।
चंद्रभागा मेला – चंद्रभागा मेला हर साल राजस्थान के झालरापाटन में, कार्तिक माह (अक्टूबर-नवंबर) में आयोजित होता है, जो चंद्रभागा नदी के सम्मान में लगता है कार्तिक के महीने में झालावाड़ के झालारपाटन में यह मेला आयोजित किया जाता है।
बूंदी उत्सव – बूंदी उत्सव ,राजस्थान के बूंदी में मनाया जाता है. बूंदी महोत्सव कार्तिक (अक्टूबर-नवंबर) के महीने में मनाया जाता है
मत्स्य महोत्सव – राजस्थान के अलवर शहर में हर साल अलवर महोत्सव का आयोजन किया जाता है.मत्स्य महोत्सव अलवर, राजस्थान में शहर की स्थापना के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य अलवर क्षेत्र में सांस्कृतिक, विरासत और वन्यजीव पर्यटन को बढ़ावा देना है.
कोलायत मेला – कपिल मुनि का मेला कोलायत में कार्तिक पूर्णिमा पर आयोजित होता है। कोलायत का वार्षिक मेला राजस्थान के बीकानेर में आयोजित किया जाता है। इसे कपिल मुनि मेला भी कहा जाता है। कपिल मुनि मेला राजस्थान के बीकानेर जिले में आयोजित किया जाता है। कोलायत झील के तट पर मेले का आयोजन किया जाता है।
कुम्भलगढ़ उत्सव – कुंभलगढ़ महोत्सव राजसमंद जिले में होता है, जो कि ऊबड़-खाबड़ अरावली पहाड़ियों के बीच बसा हुआ है। यह किला, जो यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल भी है
रणकपुर उत्सव – रणकपुर महोत्सव राजस्थान के पाली जिले में आयोजित एक वार्षिक सांस्कृतिक उत्सव है, जो मारवाड़-गोडवाड़ क्षेत्र की लोक संस्कृति को प्रदर्शित करता है।
शीतकालीन उत्सव – माउंट आबू राजस्थान में, माउंट आबू में वार्षिक शीतकालीन उत्सव मनाया जाता है। माउंट आबू में दिसंबर में आयोजित वार्षिक शीतकालीन समारोह राजस्थान की गौरवमयी संस्कृति और परंपराओं का परिचायक है।
ऊंट उत्सव – बीकानेर में ऊंट महोत्सव अयोजित किया जाता है राजस्थान के बीकानेर शहर में हर साल ऊंट महोत्सव का आयोजन किया जाता है.जनवरी माह में राजस्थान पर्यटन द्वारा आयोजित, उत्सव में ऊंट दौड़, ऊंट दुग्ध, फर काटने के आलेखन /डिजाइन, सर्वश्रेष्ठ नस्ल प्रतियोगिता, ऊंट कलाबाजी और ऊंट सौंदर्य प्रतियोगिताएं शामिल हैं।
उत्सव पतंग उत्सव – पतंग उत्सव, भारत में मकर संक्रांति ( 14 जनवरी) के मौके पर मनाया जाने वाला एक लोकप्रिय त्योहार है.पतंग महोत्सव राजस्थान के लिए एक उमंग भरा उत्सव है। इस अद्भुत त्यौहार पर पूरे राज्य में पतंगें उड़ाई जाती हैं।
नागौर मेला – नागौर मेला भारत का दूसरा सबसे बड़ा पशु मेला है हर वर्ष जनवरी और फरवरी के महीने के बीच आयोजित, नागौर के मवेशी मेले के रूप में लोकप्रिय है इस मेले में करीब 10,000 बैल, ऊंट और घोड़ों का व्यापार होता है। पशुओं को सुंदर ढंग से सजाया जाता है राजस्थान का सबसे बड़ा पशु मेला परबतसर (नागौर) में वीर तेजाजी महाराज की स्मृति में लगता है, जिसे तेजाजी पशु मेला भी कहा जाता है.
बाणेश्वर मेला – यह मेला माघ शुक्ल पूर्णिमा के दिन डूंगरपुर के बाणेश्वर मंदिर में लगता है. इसे आदिवासियों का कुंभ मेला भी कहा जाता है. यह मेला भगवान शिव को समर्पित है. यह मेला सोम, माही, और जाखम नदियों के संगम पर लगता है.
मरू महोत्सव ( डैज़र्ट फेस्टिवल ) – मरु महोत्सव राजस्थान के जैसलमेर मैं अयोजित किया जाता है जो की एक एक सांस्कृतिक उत्सव है यह एक चार दिवसीय वार्षिक कार्यक्रम है जो एक रंगीन भव्य जुलूस के साथ शुरू होता है जिसके बाद मिस पोकरण और मिस्टर पोकरण प्रतियोगिताएं होती हैं।कालबेलिया, कच्ची घोड़ी, गैर जैसे क्षेत्रीय लोकनृत्य प्रस्तुत किए जाते हैं।
जयपुर लिट्रेचर फैस्टिवल (साहित्यिक उत्सव) – इस फ़ेस्टिवल में साहित्य, कला, और संस्कृति पर चर्चा की जाती है. साहित्य की सीमाओं को विस्तार देने के लिए, जयपुर के डिग्गी पैलेस में, प्रसिद्ध जयपुर लिट्रेचर फैस्टिवल मनाया जाता है, जिसमें साहित्यिक परिदृश्य के सर्वोत्तम तथा उत्कृष्ट लेखकों, कवियों तथा कलाकारों को एक छत के नीचे इकट्ठा किया जाता है
उदयपुर वर्ल्ड म्यूजिक फैस्टिवल (विश्व स्तरीय संगीत समारोह) -प्रति वर्ष झीलों का शहर उदयपुर एक अलग ही धुन गुनगुनाता है। उदयपुर शहर ’उदयपुर वर्ल्ड म्यूजिक फैस्टिवल’ के अगले संस्करण की मेज़बानी करने जा रहा है। दुनियां भर के जाने माने विद्धान, कलाकारों को एक जगह इकट्ठा करने का काम ‘‘सहर” नामक संस्था करती है जिनमें बीस से अधिक देशों के लोग जिनमें ईरान, स्पेन, ब्राजील, सेनेगल, इटली और भारत सहित कई अन्य देशों के लोग भी शामिल होते हैं